Book Title: Udisa me Jain Dharm
Author(s): Lakshminarayan Shah
Publisher: Akhil Vishwa Jain Mission

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Page 66
________________ पायवासिमिया Nam-MrDyuniya गाय महतालिमकct . . . ti may मंगवी प्रतिष्ठाता पुष्यमिव सुंग को सारवेल का समय सामयिक मानकर डॉ० जायस्वालने वारससिहासनाराहा समय न्यूज पर निश्चित किया है कि सुमको मुफा के देहस्पति मित्र माणित करने की सबसम्पर वह पूर्णतिवाभावारिताह ! T3 T. AFTE72 FE कमोबेलडाँयायसवाल और रेपसन्' ने भर प्रकाश किया था कि मोपा भोपालोसा शिलानशानिय सोयहरमलिमित्रों के नामोंकाउल्लेख किया गया एक तथा मिल है क्योंकि उन शिलालेखों को प्राप्त स्थानी वंशका प्रखड राजत्व था। ! Fup PF " परन्तु इसे . प्रामानने ग्रहण नहीं किया है। उन्होंने देखा कि मलेस शिलालेखापापाता शिलालेखों से समस्याही अत्यन्त प्राचीन हैं। प्रत दोनो बृहस्पति मित्रोमे पाहा ...J.B.D.R.SIL.96, III-489TRArrB.Mr Baran 0. B. 1.P.24t Artor itish sits 12. P. H. ASTRgs 401 alsdy . 23. J. B.ORBELITPige 236-245 24. J.R..S. 18P:11206 35. Cambridge History of India Wat i P.834-26 26TIBIOTRS.intory. 100

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