Book Title: Udisa me Jain Dharm
Author(s): Lakshminarayan Shah
Publisher: Akhil Vishwa Jain Mission

View full book text
Previous | Next

Page 69
________________ वीकार-सिना बनाना का कभी उल्कल से संपर्क वा यह हो जाता ही होता है। HIRD अपनेको विभूषित करकेचाहें नियविनयी के रूपमें स्वीकार किया जा सकता है महामना) राजाकाहाबलकाल-सा ही इसके पूर्व-२४ के पहले अशा ३२ क-पूरा हो चुक्य-सकायोको मालूम है कि इसी वर्ष अवगुप्त मौर्सने सिंहासन मासेहत किया अपना करने पर की हम समवेलको ईसा पहली राती के तराई में मानिसके एकमात्र ससके अपमें देखते हैं। और काव्या या बाबी सोन्दर्य प्रस्ट के जनरामा तारबारमेला के ने काले समसामान को ही बिसात-पार्सका साममा पाएका प्राममनी तिमानमें कस-सिवान की मेमा स्किो नाम पणिमाडीने कहा है कि खारवेल की शिलालिपि पर अशोक को नबनाना A3 Age of Imporial Unitych X 216 ff MAT.R.B.R.S.xfr25 SHRAT.TTEDivil paye ssc.in. Thai NN. Ehosh 114 ff

Loading...

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142