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ग्रहण धूलिधूसरित पाद वाले, शिक्षादि से दूर ग्रामीण से किया है ।" भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र में अनेक नाट्यधर्मी तथा लोकधर्मी प्रवृत्तियों का उल्लेख किया है, जिसके अनुसार सामान्य, प्रजाजन के आचार एवं क्रियाओं को सादगीपूर्ण एवं अविकृत रूप में प्रदर्शित करने वाली अभिनय विधि लोकधर्मी कही गयी है । भगवद्गीता में इहलोक,२१ परलोक२२ एवं सामान्यजन २३ के अर्थ में प्रयुक्त "लोक' की संज्ञा एवं महत्ता को स्वीकार किया गया है-"अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः ।"२४ लौकिक संस्कृत साहित्य के काव्य-नाटक एवं काव्य-शास्त्रादि ग्रन्थों में "लोक" शब्द विशेष रूप से संसार२५ एवं सामान्यजन के लिए ही आया है । साहित्य में प्रयुक्त विभिन्न लोकान्त, लोकनाथरे, लोकपाल२९, लोकलोचन", लोकयात्रा", लोकस्वभाव", लोकप्रवाद", लोकापवाद" एवं प्राकृत-अपभ्रंश में प्रचलित “लोकजत्ता", "लोअप्पवाय", शब्दों के सन्दर्भ में "लोक" का अर्थ "जनसामान्य" या "प्रजा" है ।
इस प्रकार "लोक" का अर्थ विभिन्न लोकों से नहीं है, अपितु प्रजा, जनता, जनसमुदाय से है । इसी अर्थ में "लोक" शब्द साहित्य का विशेषण भी है। किन्तु "लोकसाहित्य"३५ किस प्रकार का साहित्य है ? भारतीय साहित्य परम्परा में "लोक" और "वेद" का विभेद प्रायः प्रतिपादित किया जाता है । 'लोके वेदे च' की यह परम्परा साहित्य-विशेषण के रूप में लोक शब्द के प्रयोग में बाधक है । क्योंकि लौकिक-साहित्य में वेद से इतर सारा साहित्य आ जाता है, जबकि वाल्मीकि की रामायण, कालिदास की शाकुन्तलम् तथा माघ, भारवि आदि की रचनाओं को पूर्णरूप से "लोक-साहित्य" में समाविष्ट नहीं किया जा सकता । इसके अलावा साहित्य-परम्परा में "लोक" शब्द संज्ञा के रूप में या विशिष्ट "आलोक" आदि अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। विशेषण के रूप में प्रयुक्त "लोक" का अर्थ यदि जन समाज या जनता ग्रहण करें तो समग्र साहित्य "लोकसाहित्य" कहा जायेगा, क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण होता है । फिर "लोक" विशेषण का औचित्य या विशिष्ट अर्थ क्या होगा?
___ क्या "लोक" शब्द अंग्रेजी के फोक (FOLK) शब्द का समानार्थी है ?" FOLK "शब्द ऐंग्लोसेक्शन शब्द" FOLC का विकसित रूप है । जर्मन में यह VOLK हो गया । Herder ने लोक-संगीत Volkslied, लोक-आत्मा Volksseela और लोकविश्वास Volkglable आदि शब्दों का प्रयोग १८ वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में किया। उनका प्रसिद्ध लोक-गीत संग्रह Stimmender Volker १७७८-१७७६ में प्रकाशित हुआ, परन्तु लोक-जीवन के व्यवस्थित अनुशीलन के रूप में यह विज्ञान बाद में ही आरम्भ हुआ। ग्रिम भाइयों ने उनके प्रसिद्ध ग्रन्थ "Kinder und Hausmarchen" का पहला भाग १८१२ में प्रकाशित किया जबकि अंग्रेजी में "FOLK" शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम थोमस ने सन् १८४६ में किया। इससे पहले "पॉपूलर एण्टीक्विटीज" (लोक-प्रिय) शब्द प्रयोग में आता था। विशेषण के रूप में प्रयुक्त "लोक"३८ शब्द को भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों ने विभिन्न प्रकार से परिभाषित किया है।
लोक-साहित्य के शोधकर्ताओं में अग्रणी डॉ० सत्येन्द्र ने "लोक" के विषय में कहा है-"लोक" मनुष्य समाज का वह वर्ग है जो अभिजात्य, संस्कार, शास्त्रीयता ११२
तुलसी प्रज्ञा
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