Book Title: Tulsi Prajna 1991 10
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 44
________________ एक बूंद : एक सागर सं० समणी कुसुमप्रज्ञा आचार्यश्री तुलसी के साहित्य से संगृहीत सूक्तियों / अभिवचनों का पांच खंडों में प्रकाशित विशाल संग्रह 'संचयनकर्त्री ने आचार्य तुलसी के विशाल साहित्य - सागर का मंथन करके सूक्तियों का अमृत निकाला है । यह सुभाषितामृत जीवन-निर्माण के लिये पुष्टिकारक है, तुष्टिकारक है ।' - आचार्य विद्यानंद 'जीवन और व्यवहार के हर पक्ष से संबंधित हर विषय पर इसमें दिशासंकेत प्राप्त होता है। हर वाक्य में एक नया दर्शन और नया विचार है । इस एक ग्रंथ को पढ़ने से आचार्यश्री के समग्र ग्रंथों का पारायण सहज हो जाता है ।' - विश्वम्भरनाथ पाण्डे 'जीवन का ध्येय मोक्षमार्ग है । उसमें आने वाली बाधाओं का निराकरण और उस मार्ग में अग्रसर होने का उपदेश प्रस्तुत संग्रह में मिलेगा । किसी भी पृष्ठ को देखें यही बात सिद्ध होती है ।' - दलसुख मालवणिया 'शुभश्री समणी कुसुमप्रज्ञा ने आचार्यश्री के बृहद् वाङ्मय-सागर से अमृत-बिंदुओं का संचयन कर श्लाघनीय कार्य किया है ।' - डॉ० नगेन्द्र 'मैंने इस ग्रंथ की एक एक बूंद में जीवन ज्योति का प्रकाश विकीर्ण होते देखा है । एक एक बूंद में अमृत-बिन्दु का आह्लादरस पाया है । जीवन, जागृति, बल और बलिदान की भावना का जैसा आलोक इस ग्रंथ की पंक्तिपंक्ति में समाया हुआ है, वैसा अन्यत्र मुझे सुलभ नहीं हुआ ।' -डॉ० विजयेंद्र स्नातक 'मैंने लघु से गुरु तक, एक खंडीय से बहुखंडीय तक अनेक सूक्ति कोश देखे हैं । मैं निस्संकोच रूप से यह कह सकता हूं कि “एक बूंद : एक सागर " उनमें से किसी से भी न्यून नहीं है । मैं तो इसे 'समग्र जीवन : शंकाएं और समाधान' मानता हूं ।' -डॉ० रामप्रसाद मिश्र १४४ 'ये सूक्तियां आचार्यश्री के जीवन का निचोड़ हैं। यहां मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, लोकतंत्र, राजनीति, साम्प्रदायिक सद्भाव, मानव एकता, राष्ट्रीय भावना, संयम, समता, आचारशास्त्र आदि जीवन-मूल्यों की प्रेरणादायक अभिव्यक्ति है ।' -डॉ० निजामउद्दीन Jain Education International प्राप्ति-स्थान जैन विश्व भारती, लाडनूं - ३४१३०६ For Private & Personal Use Only तुलसी प्रशा www.jainelibrary.org

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