Book Title: Tulsi Prajna 1991 10
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ ११. संयमी १२. रत्नत्रय संपन्न १३. प्रतिक्रमण १४. वर्षावास १५. असमाधिस्थान २०-१-३ -रातिणि अपरिमासी - भूओवघाइए --संजलणे -पिट्ठिमंसिए ----अभिक्खणं २ ओहारपत्ता | इन्द्रिय गुप्ति प्रज्ञा, शील, समाधि संपन्न प्रातिमोक्ष वर्षावास सेखिय, ११-२० पाचित्तिय, २-ओमसवादे पाचित्तिय, ॥ (भूतगामपातन्यताय) पाचित्तिय, १३ (उज्झापने) पाचित्तिय, ३ (पेसुने) पाचित्तिय, ३६ (भुत्तावि) पुन पवारणे, ३७ भी पाचित्तिय, ६३ अधिकरण उक्कोटने से खिय, १३-१४ संघादिसेस, १० पाचित्तिय, २ संघादिसेस १ (सुक्कविसट्ठियं) पाराजिक १, संघादिशेष २ पाचित्तिय, ३७ (विकालभोजने) पाचित्तिय.१ (मुसावादे) पाचित्तिय ११ निस्सग्गिय, २० ----णवाणं अधिकरणं, १२.१३ -सद्दकरे -झंझकरे -कलहकरे १६. शबलदोष २१ प्हत्थ कम्मं करेमाणे (१) मैथुनसेवन (२) रात्रिभोजन ३ औद्देशिक मृषावादन (१४) औद्देशिक मूल भोजन (१६) व कंदभोजन क्रीत या उधार भोजन ग्रहण करना (६-७) जलप्रवेश व मायास्थानों का सेवन (१२ व २०) हिंसा करना (१३) मृषावादन (१४) अदत्तादान (१५) सचित्त भूमिपर बैठना (१६-१६) सचित्त जलपान करना १७. पाप श्रेणियां अतिक्रम व्यतिक्रम अतिचार अनाचार पाचित्तिय, ५७ पाराजिक ३, पाचित्तिय, ६१ पाचित्तिय, १ पारा जिक, १ पाचित्तिय, १०-११ सेखिय, ७४ पाचित्तिय, ६२ किसी को मारने के लिए गड्ढा खोदना दुक्कडे उसमें उसके गिर जाने पर दर्द होथुल्लच्चय उसके मर जाने पर-पाराजिक १२६ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118