Book Title: Tirthankar Charitra
Author(s): Sumermal Muni
Publisher: Sumermal Muni

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Page 15
________________ १६६ १७० १५२, निर्वाण १५२, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक १५३. २३. भगवान् श्री पार्श्वनाथ-१५५ से १६६ प्रथम व द्वितीय भव १५५, तृतीय भव १५५, चौथा व पांचवां भव १५६, छठा व सातवां भव १५६, तीर्थंकर गोत्र का बंध १५७, जन्म १५८, विवाह १५६, नाग का उद्धार १६०, दीक्षा १६१, उपसर्ग १६३, केवल ज्ञान १६३, चातुर्याम धर्म १६४, अप्रतिहत प्रभाव १६४, निर्वाण १६४, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक १६५. २४. भगवान् श्री महावीर-१६७ से २२१ पहला भव - मनुष्य (नयसार) १६७ दूसरा भव - स्वर्ग १६८ तीसरा भव मनुष्य (मरीचि) १६८ चौथा भव स्वर्ग पांचवां भव मनुष्य १७० छठा भव मनुष्य १७० सातवां भव स्वर्ग १७० आठवां भव मनुष्य १७० नौवां भव स्वर्ग दसवां भव मनुष्य १७० ग्यारहवां भव - स्वर्ग १७० बारहवां भव मनुष्य तेरहवां भव स्वर्ग १७० चौदहवां भव मनुष्य १७० पन्द्रहवां भव १७० सोलहवां भव मनुष्य (विश्वभूति) १७१ सतरहवां भव स्वर्ग अठारहवां भव - मनुष्य (वासुदेव) १७३ उन्नीसवां भव नरक बीसवां भव तिर्यंच इक्कीसवां भव - नरक बाइसवां भव मनुष्य १७५ तेइसवां भव - मनुष्य (चक्रवर्ती) १७६ चौबीसवां भव स्वर्ग पचीसवां भव - मनुष्य १७६ छबीसवां भव - स्वर्ग १७० स्वर्ग १७३ १७५ १७५ १७५ १७६ १७६

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