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तीर्थ माला संग्रह आज दिवस धन माहरू रे लाल, देख्यो तुझ दीदार ।। मन०।। आधि व्याधि अलगी टली रे लाल, भरिप्रो सुकृत भंडार । आजदि०। केशर चंदन कुकुमारे लाल, अगर अबीर कपूर । मन० नरनारी पूजा करे रे लाल, भावना भावई भूरि आज दि० ॥१३।। हवि विमलाचल वांदवा रे लाल, अलजइउ सहु संघ । मन० मांडल वीरमगाम मारे लाल, तीरथ नमियां तुंग
मन आज दि० ।।१४।। धंधु का नांदे दुरां धोलका रे लाल भेट्या तिहां भगवंत । मन० गूजर मरहठ मालवी रे लाल मिलिउ संघ अनंत । आज दि० ॥१५॥ दुहा:काठी भय दूरे करे, रखवाला भडभीम । हय रथ पायक परिवर्यो, संघ पहुतो गिरि सीम ॥१६।। ढाल:देखी डूगर दूर थी, पसरे प्रेम पडूर ।जिनजी ।। पालीताणे ऊतर्यो, वागां मंगल तूर ॥१७॥ विमलाचल मुज मन वस्यो, ज्यू मधुकर अरविंद ।।जि०॥ दोइ दुर्गति दूरे करे, अविहडद्य आनंद ॥जि०॥१८॥यांकणी चैत्र मासरा की तिथै, प्रणम्या ऋशभना पाय । चरचे चंदन फूल स्यू, अंगे जिन गुण गाय ॥ जि०॥१६॥वि० मरुदेवी सुत मांगिइ, मुक्तिदान तुम्ह पास ॥जिन।।। आश पूरवो दासनी, आपु अविचलवास ॥जि०॥२०॥ वि० पुंडरीक गणधर नम्या, प्रतिमा संखन पार ॥जि०॥ डावे जिमणे देहु रे, सुमिरू बारम्बार २१॥ रायण तल संघ पद लियो, उच्छव करे अनेक जि०॥ सिद्ध क्षेत्र फरस्यो सहू, संघ वलि उसुविवेक |जि०॥२२॥ सहस जीभ मुख जो हुवै, कोडि वरस रो आय ॥जि०॥ आप अमर गुरु आइ सइ, गिरिगुण कह्या न जायः
जि०॥२३॥वि०
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