Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor
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तीर्थ माला संग्रह
ढालमुनि सुव्रत जिन अरज अम्हारी ए देशी । आस्या उरी नंदकु त्रिशला हुलावे, ए अांकणी ।। एक दिशाथी जिन घर संख्या जिन वरने संभलावुरे ।
आतिम थी अोल खाण करीने, तो अोलखाण वतारे ॥१॥ शिभुवन तारण तीरथ वंदो ए अंचली। रायण थी दक्षिण में पासें देहरी एक भलेरी रें। तेहमां चौमुख दोय जुहारी, टालू भवनि फेरी रे ॥२॥हुंतो०ओ० चौमुख सर्व मलीने छूटा वीस संख्याइं जाणारे । छूटी प्रतिमा आठ जुहारी, करीइं जन्म प्रमाणोरे ॥३॥हुंतो०प्रो० संघवी मोती चंद पटणीनु सुन्दर जिन घर मोहेरें। तिहां प्रतिमा प्रोगणीस जुहारी हियडु हरषित होइरें ॥४॥हुं०त्रि० श्रीसमेत शिखर नी रचना कीधीछे भली भांतरे। वीस जिणेसर पगलां वंदू बावीस जिन संघातरें ॥५॥हुँ०त्रि० कुसला बाईना चौमुख मांहें सत्तर जिन सोहावेरे । अंचल गच्छना देहरा मांहि बत्रीस जिनजो देखावेरे ॥६॥हुं०त्रि० सामूलाना मंडपमोहे छतालीस जिणंदारें। चौवीस पद्ये एक तिहांछे प्रणम्य परमा नंदारे ॥७॥हुं०वि० अष्टापद मंदिर मां जईने अवधि दोष तजीसरे । च्यार आठ दश दोय नमीनें बीजाजिन च्यालीसरे ॥८॥हुं०वि० सेठजी सुरचंद नी देहरीमां, नवजिन पडिमा छाजेरें। घीया कुअरजीनी देहरीमा प्रतिमा गीण्य विराजेरे ।।६।।हुं०त्रि० वस्तु पालना देहरा मांहे थाप्या ऋषभ जिणंदरे । काउ सगीया बे एकत्रीस जिनवर संघवी ताराचंदरे ॥१०॥हुं०त्रि० मेरु शिखरनी ठवरणा मध्ये प्रतिमा बार भलेरी रे । भाणा लींबड़ी यानी देहरीमा दश प्रतिमा जुहो हेरी रे ॥११॥हुं.त्रि. संघवी ताराचंद देवल पासे, देहरी त्रीण सें अनेरो रे । तेहमां दश जिन प्रतिमा निरषी,थिर परणिती थइ मेरीरे ॥१२॥हुं.त्रि. पाँच भाइयाना देहरा माँ है, प्रतिमा पांच छे मोटोरे । बीजी तेत्रीस जिन पडिमा, वात नहीं ए खोटी रे ॥१३॥हुं.त्रि.
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