Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor

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Page 119
________________ १२ तीर्थ माला संग्रह पगच्छ राजा बहु दिवाजा, विजयसेन सपट्टि पूर प्रसूरि सुरम्रो विजयदेव सूरीसरो । यतीसरो ॥ १३१ ॥ स गच्छि राजि भवि निवाजि वाचक विद्या सागरो । स सीस पंडित सुगुरण मंडित सहजसागर गणिवरो ॥ सासउ चउवीस जिनवर कल्याण क यात्रा करी । इस सोस लेसई पूर्व देसइ थुई भरणी बहु सुखकरी ॥ १३२ ॥ इति समेत शिखर तीर्थमाला स्तोत्र संपूर्णम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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