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तीर्थ माला संग्रह
पगच्छ राजा बहु दिवाजा, विजयसेन सपट्टि पूर प्रसूरि सुरम्रो विजयदेव
सूरीसरो । यतीसरो ॥ १३१ ॥
स गच्छि राजि भवि निवाजि वाचक विद्या सागरो । स सीस पंडित सुगुरण मंडित सहजसागर गणिवरो ॥
सासउ चउवीस जिनवर कल्याण क यात्रा करी । इस सोस लेसई पूर्व देसइ थुई भरणी बहु सुखकरी ॥ १३२ ॥
इति समेत शिखर तीर्थमाला स्तोत्र संपूर्णम् ॥
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