Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor

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Page 108
________________ श्री सम्मेत शिखर तीर्थमाला तपागच्छीय गणि श्री सहज सागर शिष्य कृता ढाल वडा नेसालिनानी प्रणमहं प्रथम परमेसरूजी, आगरा नगर सिणगार कइ पास चिंतामणी जो । परतखि परताए पूरविजी भुगति, मुगति दातार कि पास चिंतामणी जी ॥ १ ॥ इक वार जउं शिरंनांमीइजी पांमीइ कोडि कल्याण कइ पा । स्वामि सेवा फलिसहू कहइजी, महमहइ परिमल प्राण कि पा. ||२|| आणंदकारी गरइ जी देव देरासर सोल कइ पा. । सई हथि होरगुरु थापियाजी संवत सोल इगयाल कि पा. ||३|| राज्य राणिम रिधि रंगरली जी, रागरमणि रंगरेल कइ पा. । गिरु अडि गइ वर गोरडीजी गरजता गज गुरु गेलिकइ पा. ||४|| तेह प्रभु पास सुपसाउलिजी, तपगछ गुरुकुल वासि कइ पा. । नगर रतनागर नागरिजी रही चउमास उल्लास कइ पा. ॥५॥ पंच कल्याणिक भूमिकाजी परसतां फल बहु जो कि पा. । पूरव उत्तर पूजिइजी, जिहां जिन चैत्य जिन होय कई पा. || ६ || सुगुरु गीतारथ मुखि सुणीजी पुस्तक वात परतीत कइ पा. । जनम कल्याणक भेटवाजी अलजय हुँ निर्जाचत्तिकइ पा. ||७|| वंद दस दोय देहरे जी, बिंब बहु धातु मम्मारण कइ पा. । दरिसण करि देरासरे जी, आगरइ प्रथम पसायारण कई पा. ।। ८ ।। पुन्यवंता जगे ते नराजी, जे करि तीरथ बुद्धि कइ पा. । जिम जिम तीरथ सेवीइ जी, तिम तिम समकित शुद्धिकर पा. || || ढाल बीजी मधुमारसनी शुभ शकुने श्री संघ समेला, मिलिया सज्जन सहुन समेला । बोलइ मंगल वेला ॥ १० ॥ तुजयुंजय बोलि मंगल वेला, व्यवहीरी करि दक्षिण वलियो, हयस पल्हांणउ साहामु मिलियो । गल गर्जित गजराज तु ॥ ११ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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