Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor
View full book text
________________
७२
तीर्थ माला संग्रह
तिहांथी आगल चालतां रे देहरी एक निहाल । नमो.
तेठांमे जई वंदी येरे पासजी शांति कृपाल ॥२॥नमो. संघवी प्रेम चंदे करयोए, जिन मंदिर सुख कार । नमो. ___सर्व तो भद्र प्रासादमाए बिंब नवांणुसार ॥३॥नमो. हेमचंद लवजीइं करयोए देहरो तिहां शुभभाव।।
बिंब पचवीस तिहां वंदीइं ए भवोदधितारण नाव ॥४॥नमो. पांडव पांचे प्रणमीथेरे जिन मुद्राइं जेह । ____ जोडें कुता धूप दीरे नमुनमु निरषी तेह ॥५।।नमो. खरतर वसही मां पेसतारे पहिलु शांति भवन ।
बहोत्तरे जिनस्यु वंदीयेरें तेघडो धन धन ॥६॥नमो. पासें पास जिणेसरुरे बेठा भुवन मंझार ।
चौवीस जिन परिकर नमुरे मूरति होय अणगार ॥७॥नमो. तेहमां नंदीसर थापनारें बावन जिन परिवार ।
फिरि फिरी नीरखू खांत स्यूरे हरखू हियडे अपार ॥८॥नमो. एक जिन घर मांथापीयारें सीमंधर जिनराय । ___ प्रतिमा च्यार सुवांदियेरें थिर करी मन वचकाय ।।६।।नमो. अजित प्रभुना चैत्यमांरै नमु त्रिण जिन संघात ।
पाठभुजाई शोभतारे पासे चक्के सरी मात ॥१०॥नमो. चौमुख त्रणछे तेहनीरे प्रतिमावां दो बार ।
प्रतिमा एक रायण तलेरें प्रणमुपगलां चार । ११॥नमो. चौद सूयां बावन तणांरें गणधर पगला जोय ।
तेहनी पासें सोहामणी रें दीपे देरी दोय ॥१२॥नमो. सा हेमचन्द सषरे कीयूरे जिन मंदिर सुविशाल ।
तिहां त्रण पडिमाई नमुऐं मन मोहन श्री पास ॥१३॥नमो. सोहम सोहमांछे देहरारे श्री शांतिनाथ नाँदोय ।
त्रण प्रतिमाछे एकमारे बीजे पांचा सतु जोय ॥१४॥नमो. मूल कोटमां दक्षिण दिसेंरे देहरी त्रिण से जोड ।
तिहां पडिमा षट वंदियेरें कहे अमृत कर जोड ॥१५॥ नमो.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120