Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor
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७०
तार्थ माला संग्रह
नेमीसर चउरो जिहा विसरामी रे,
तिहां एकसो सित्तर देव नमु शिरनामी रे ॥ मूल नायक स्यु वंदीइं विसरामी रे,
लोक नाल ततखेव नमु शिरनामी रे ॥ विमल वसही पासे अछे विसरामी रे,
देहरा दोय निहाल नमु शिरनामी रे॥ प्रतिमा आठ जुहारीइं विसरामी रे,
आतम करी उजमाल नमु शिरनामी रे ॥ पुण्य पापर्नु पारखु विसरामी रे,
करवाने गुण वंत नमु शिरनामो रे॥ . मोक्ष बारी नामे अबें विसरामी रे,
तिहां पेसी निकसो संत नमु शिरनामी रे ॥ तीरथनी चोकी करे विसरामी रे,
वली संघ तणी रखवाल नमु शिरनामी रे ॥ करमा साहें थापीयां विसरामी रे,
सहं विघन हरे विसराल नमु शिरनामी रे ॥ सघले अंगे सोभतां विसरामी रे,
भूषण झाक झमाल नमु शिरनामी रे ॥ चरणा चोली पेहरणे विसरामी रे,
___ सोहे घाटडीलाल गुलाल नमु शिरनामी रे ॥ चतुर भुजा चक्केसरी विसरामी रे,
तेहना प्रणमीपाय नमु शिरनामी रे ॥ सघल संघ अोलग करे विसरामी रे,
बुध अमृत भर गुण गाय नमु शिरनामी रे ॥ ढाल ६--
हरीयें प्रापीरे वृंदावन मां माला एदेशी। भवि तुम्हे सेवोरें एह जिनवर उपगारी,
कोनहि एहवोरें तीरथ मां अधिकारी ॥ प्रकरणी। हाथी पोलथी उत्तर श्रेणें जिन घर जिनजी छाजे ।
समोसरण सुरछेतेहमां प्रतिमा च्यार विराजे ॥१॥भवि.
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