Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor

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Page 57
________________ ५० तीर्थ माला संग्रह धना सुधारनी पोल प्रकाश, ऋरण देहरा दीठा उल्लास । श्री प्रादीश्वर दीनदयाल, दीठां पारस पाप पयाल ॥ ११ ॥ कुंथुनाथ वंदो नर नार, कालू संघवीनी पोल मभार । बे देहरा अमर - विमान, चिंतामणी अजित निदान ||१२|| झोंपडा पोल जुहारण कोड, शांतिनाथ नमु कर जोड । राजा मेतानी पोल उदार, दोय देहरां सुखदातार ।।१३।। कुंथुनाथ आदीश्वर धार, बीजो तारक नहीं संसार । वंगपोलमा नेमि सुरंग, मुख देखण अमनें उमंग || १४ || गोलवाड नी पोल समाज, जिनराज महावीर महाराज । पुरसारंग तलीया जाण, प्रभु पारस अभिनव भांरण ।। १५ ।। कामेस्वर पोल निहाली, जिन संभवनाथ संभाली । वागेश्वरी पोल विख्यात, आदीश्वर त्रिभुवन तात ||१६|| चामाचिडया नी पोल प्रधान, नाथसंभव चंद्र समान पोल नामे सांवला पास, वीर शांति नमो उल्लास ।। १७ । जिनवंदन पुण्य अपार, बोले जिनवंदे थइ उजमाल, भव गणधर सूत्र मझार । त्रोजे वरें शिवमाल || १८ || दोहा - चंद्र किरण सम शोभतो, चंद्रप्रभ जस नाम । धन पीपली पोले सहा, अति उत्तम जिन धाम ॥१॥ ढालनी पोले वंदना, मुनि सुव्रत महाराय | तुम पद वंदन भवि लहे, तीर्थंकर पद प्राय || २ || जमालपुरना पासजी, कीजो पर उपगार । गोडी जोडी तुम तणी, सुणी नहीं संसार ||३|| एक दिवसे जो सेठ सुव्रत पीसो करी ॥ ए देशी ॥१॥ मांही पोल मांडवीजी, काका वलियानी, सुविधि तरणो हरिकिसन नीजी, पोल सेठनी उपगारीजी, शांति पर Jain Education International A पोलो घणी । प्रतिमा सुणी । प्रति भली । निरखो रंगरली ॥ श्रु०॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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