Book Title: Tirth Mala Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Parshwawadi Ahor

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Page 51
________________ तीर्थ माला संग्रह नमो ऋषभजिणंद बीजें देहरें अति सुंदरु छत्रिस प्रतिमा तिहां वंदो नमें जास पुरंदरु बीसें छासठि । मल्लि जिनवर मल्लीनाथ पाडें मुदा बावन्न जिनें नें बावन्न प्रतिमा वंदी इंते सर्वदा ||५|| ४४ लखीयार वाडें रे मोहन पास महिमा घरणो, fie त्रिसेरे एकोत्तर तिहां किरण गणो । श्रीमंधर रे स्वामी प्रासाद बासठि जिना बिंब तेरस्यु रे संभव सेवो एकमना ॥ ६ ॥ एकमनां सेवो सुमति जिनवर साठि प्रतिमा सोहती । आठि उपर न्याय सेठ ने पाडे जन मन मोहती ॥७॥ चोखा वटीइं शांति जिनवर बेंतालीस बिंब अलंकरयां । दोढ से जिन बलीइं पाडे ऋषभ जिन जगे जय वरचा ॥८६॥ ढाल: बजी महिताने पाडे शोतलनाथ, प्रतिमा सडतालीस प्रतिमा दोए शांतिनाथ कसुंबीया वाडें शीतल बिंब अढार, श्रीपास जिनेसर बीजें देहरें जुहारु, जुहारी इं जिन वरनी प्रतिमा छासठि मननें रंगें, सो प्रतिमा वायु देवना पाडामां धर्म जिनेसर संगें, चाचरीया माँ पास जिणेसर त्रिणसें नव तिहाँ प्रतिमा परिषद पदमापो लें बीस जिन फोफलीयानो महिमा सोनार वाडे सुखदायक श्री माहावीर बेंतालीस प्रतिमा पासे गुरण गंभीर खेजडाने पाडे एक सोनें अनीस प्रतिमा वंदु उल्लास इं- उल्लासई वली फोफलीया माँ पास जिणेसर पेखु, एकवीस प्रतिमा पासे देखु पातिक सयल उखु शंभवनाथ ने देहरे दोय शत त्राणु प्रतिमा सोहँ, शान्ति जिणेसर देहरे एक्सो त्रिपन जिन मन मोहें । ढाल खजुरीइं मन मोहन पास एकसो सत्तावन श्री जिनपास वाँदु मन उल्लास तो जयो जयो ॥ १ ॥ भाभो भाभा मांहि विराजे च्यार से एक प्रतिमा तिहाँ छाजे महिमा जग में गाजतो जयो ॥२॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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