Book Title: Terapanth ka Rajasthani ko Avadan
Author(s): Devnarayan Sharma, Others
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (ix) योग्य गुरु के योग्य शिष्य महाप्रज्ञ-उन्हीं की महनीय-कृपा एवं अनाविलआशीर्वाद से यह विद्या-यज्ञ पूर्ण हुआ। हम कामना करते हैं कि हम मणसावाचाकर्मणा इन महापुरुषों की सेवा में लगे रहें और हम लोगों का जीवन भी इन्हें ही लग जाए, जिससे युग-युगांतर तक ये महापुरुष संसारानल में दग्ध जीवों को शैत्य-पावनत्व प्रदान करते रहें, उनका शरण्य बनते रहें। नव-शिशु विश्वविद्यालय इसलिए भी धनी है कि एक तरफ अनुशास्ता जैसा महान् मार्गदर्शक मिला है तो दूसरी तरफ ज्ञान के क्षेत्र में पितामह कुलाधिपति श्री श्रीचन्द रामपुरिया ऐवं डॉ० रामजी सिंह जैसे कुलपति मिले हैं । इनके प्रति हम कृतज्ञ हैं। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के सम्पूर्ण प्राध्यापकों, छात्रों, अधिकारियों, कर्मचारियों आदि के प्रति हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिन्होंने इस कार्य में अपना अमूल्य योगदान दिया। इस ग्रन्थ के मुद्रण में जैन विश्व भारती प्रेस के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी-गण साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने स्वच्छ एवं सुन्दर मुद्रण कार्य कर इसे पुस्तकाकार प्रदान किया। अन्त में हम उन सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिन्होंने परोक्ष या अपरोक्ष रूप में इस विद्या-यज्ञ की पूर्णता में सहयोग किया है। लाडन विजयादशमी, १९९३ विनयावनत सम्पादक मण्डल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 244