Book Title: Tattvartha Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 11
________________ अनु. ૧ २ Pm b ૩ ४ 4 ७ ८ ८ १० ૧૧ ૧૨ ૧૩ ૧૪ ૧૫ ૧૬ १७ १८ ૧૯ २० विषय श्री तत्त्वार्थ सूत्र लाग दूसरे डी विषयानुप्रभाि छठ्ठा अध्याय आस्त्रवतत्त्व प्रा नि३पाएा सू-१ पुण्यपाप से आस्त्रवों डेरा सू-२ संपरायडिया डे जास्त्रवों नि३पएा सू-3 अप्रषायभुव डे संसार परिभ्रमा ३५ र्यापथ आास्त्रव डेरा होने प्रा नि३पाएा सू-४ साम्परायि प्रर्भास्त्रव के लेहों का नि३पएा सू-4 सज भुवों प्रर्भजन्ध समान होता है या विशेषाधिऽ सू- ६ अधिऽएा डा स्व३प सू-७ भवाधिए लेह प्रा नि३पाएा सू-८ डा निश्पा सू अभवडे अधिक दुर्भजन्ध डे आास्त्रव सज जायुवाले डा अस्त्रव होता है सू- १० वायु के आस्वा नि३पाएा सू-११ सातवां अध्याय શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર : ૨ संवर के स्वरूप प्रा नि३पासू-१ संवर के प्रारएाउप समिति गुप्ति जाहि डा नि३पाएा सू-२ होंडा नि३पासू-उ समिति गुप्त स्व३प निश्पा सू-४ दृश प्रकार के श्रभएा धर्म का नि३पएा सू-य अनुपेक्षा स्व३पा नि३पासूકે परिषहभ्या निपा सू-७ परिषह से लेहों प्रा नि३पासू-ट जैन भवने तिने परीषह होते है ? सू पाना नं. ૧ त 9 4 ८ ૧૧ १८ २२ २४ २७ २८ ૩૫ ३७ ३८ ૪૧ ४४ ४७ ૫૩ ૬૩ ૫ ७६

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