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। तत्त्वज्ञान तरंगिणी भी कहलाने लगते हैं, इसलिये यह भेदविज्ञान संसारकी समस्त कामनाओंको पूर्ण करनेवाला अनुपम चिन्तामणि रत्न है ।। २२ ।।
इति मुमुक्षु भट्टारक ज्ञानभूषणविरचितायां तत्त्वज्ञान तरंगिण्यां शुद्धचिद्रूप प्राप्तये भेद विज्ञान प्राप्ति प्रतिपादकोऽष्टष्ठोमोध्यायः ॥६॥ इस प्रकार मोक्षाभिलाषी भट्टारक ज्ञानभूषण द्वारा
निर्मित तत्त्वज्ञान तरंगिणीमें शुद्धचिद्रूपकी प्राप्ति करनेके लिये भेदविज्ञानकी प्राप्तिको बतलानेवाला आठवाँ अध्याय
समाप्त हुआ ॥ ६ ॥
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