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नारदीय मनुस्मृति
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स्त्री पति का ऋण नहीं देवे जो जिसका धन लेने वाला होता है उसे देना चाहिए निर्धन, अपुत्री स्त्री को ले जाने वाले को उसके ऋण देना चाहिए पुत्र-पति के अभाव में राजा का अधिकार पति के प्रेम से दी हुई वस्तु को कोई नहीं ले सकता है कोन कुटुम्ब में स्वतन्त्र है और कौन परतन्त्र है छल से कमाया धन काला धन न्याय का धनागम
५०-५१ प्रत्येक जाति की अपनी-अपनी वृत्ति
५६-६४ तीन प्रकार के लिखित, साक्षी, भोग का प्रमाण
६५-७७ धरोहर का प्रमाण स्त्रीधन के रक्षा का विवरण मृत पुरुष का प्रमाण
८०-८६ रुपये का वृद्धि (व्याज का प्रकार) चक्रवृद्धि का वर्णन
८७-६४ धनी को ऋणी का लेख बतलाना चाहिए
8--१०० प्रतिभू (जामिन) का वर्णन
१०३ लेख, लेखक के प्रकार, कितने प्रकार के होते हैं
११२-१२२ जो साक्षी के योग्य नहीं है --अशुद्ध साक्षी
१३४ शुद्ध साक्षी । साक्षी विषय
१३५-१५२ असाक्षी
१६३-१६७ उभय पक्ष (जिसकी स्वीकृति को मान लेने पर) एक भी साक्षी हो सकता है
१७१ झूठे साक्षी के मुख के चिह्न, (आकार आदि चेष्टा से)
१७२-१७७ झूठ साक्षी का पाप
१५६-१८८ सत्य साक्षी का माहात्म्य
१६०-२०० सत्य साक्षी की महिमा
२०३ तम साक्षी के सम्बन्ध में शाप ऋषि और देवताओं पर भी लगता है
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