Book Title: Shraman Parampara Ki Ruprekha
Author(s): Jodhsinh Mehta
Publisher: Bhagwan Mahavir 2500 Vi Nirvan Samiti

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Page 60
________________ [46] 2. दूसरे महान सुधारक श्री लवजी ऋषि हुए जिनकी स्थानक वासी दीक्षा वी. सं. 2164 (वि. सं. 1694-ई. सं. 1637) में हुई। उनसे अनुप्राणित सम्प्रदाय सबसे बड़ी संख्या में है ' उनकी परम्परा में वी. स. 2189 (वि. स. 1719-ई. स. 1662) में श्री अमरसिंहजी आचार्य समर्थ विद्वान् ,उदार, प्रवचनकार हुए । हिन्दु मुसलमान प्रेम के साथ उनका व्याख्यान सुनते थे। औरंगजेब बादशाह के पुत्र बहादुरशाह व जोधपुर के राज्य के तत्कालीन दीवान श्री खींचचन्दजी भण्डारी अनन्य भक्त थे। श्री लवजी ऋषि की परम्परा पूज्य श्री कान्हजी ऋषि के सम्प्रदाय से प्रसिद्ध हुई। वी. स. 2414 (वि. स. 1944-ई. स. 1887) में दीक्षित शास्त्रोद्धारक अमोलक ऋषि जी ने कर्नाटक बंगलौर तक विहार किया । स्थानकवासी समाज के प्रागमों के साहित्य को सरल सुबोध हिन्दी भाषा में अनुवाद करने वाले आप प्रथम मुनिराज हुए हैं। इस सम्प्रदाय के श्रमण अधिकतर दक्षिण, वरार, खानदेश कर्नाटक में विचरे हैं । लोकाशाह के समर्थ साधु 91 वें पट्टधर आत्मारामजी महाराज हुए जो पंजाब सम्प्रदाय लवजी ऋषि से सम्बन्धित थे। वे संवेगी दीक्षा ग्रहण कर श्री विजयानन्द सूरि के, नाम से प्रसिद्ध हुए । पूर्व में इनकी चर्चा हो चुकी है। 3. पू. श्री धर्मसिंहजी, स्थानकवासी सम्प्रदाय उद्धारकों में माने जाते हैं । ये अपूर्व बुद्धिशाली, विचक्षण प्रतिभाशाली थे । स्वल्पकाल में, उन्होंने 32 सूत्र, तर्क, व्याकरण, साहित्य और दर्शन का ज्ञान उपार्जन कर लिया था। इनका सम्प्रदाय दरियापुर सम्प्रदाय' दरियानखान यक्ष को प्रतिबोध देने के कारण प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने लोंकागच्छ में घुसी हुई कुरीतियों को नष्ट करने की घोषणा की। उनका वी. स. 2198 वि. स. 1728ई स 1671) में स्वर्गवास हुआ । प्रचार क्षेत्र इस सम्प्रदाय का गुजरात, सौराष्ट्र में विशेष रहा है। उन्होंने संयम की बाड़ लगाई और साहित्य रस से उसको सिंचन कर बाड़ी लगाने का काम किया। उन्होंने, श्रावक का प्रत्याख्यान भी छः कोटि से आठ कोटि होता है, ऐसी मान्यता प्रचलित की। ___4. पूज्य श्री धर्मदास जी महाराज ने स्वतन्त्र दीक्षा वी. सं. 2186 (वि. सं. 1716.- ई. स. 1659) में ग्रहण की । उससे पहले वी. सं. 2160 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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