Book Title: Shraman Parampara Ki Ruprekha
Author(s): Jodhsinh Mehta
Publisher: Bhagwan Mahavir 2500 Vi Nirvan Samiti

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Page 73
________________ [59] गांधी भगवान महावीर की अहिंसा से प्रभावित हुए थे, परन्तु भगवान् महावीर की अहिंसा महात्मा गांधी की अहिंसा से गहरी थी। तामिलनाड में 'भगवान महावीर अहिंसा प्रचार संघ' कायम हुआ। 17-11-74 को विराट् रथ-यात्रा निकली जिसमें 126 झोकियो दिखाई गई और भजनों की स्पर्धा अच्छी रही। गुजरात के मन्दिरों में सामूहिक स्नात्र, पंचाह्निका और अष्टाह्निका पूजा के प्रायोजन रहे । महावीर जीवन प्रसंग पर रंगोलियां सजाई गई और उन पर 2500 दीपक और 2500 साथीये किये गये । भद्रेश्वर (कच्छ) तीर्थ में कीर्ति-स्तम्भ ध्यान मन्दिर के निर्माण करने के निर्णय लिये गये । अहमदाबाद में 72 फीट ऊँचा कीर्ति-स्तम्भ हट्टीभाई के देरासर में निर्माण करने का निश्चय किया गया। इसी प्रकार पालीतारणा में श्री महावीर जैन होस्पिटल 5 लाख के खर्च पर बनाया जाना तय हवा । पालीताणा में शत्रुजय (सिद्धाचल) पर्वत के पहले हडे 15000 बार भूमि पर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन देरासर की पेढ़ी, 25 लाख के खर्चे पर 'वीर वर्धमान विजय स्तंभ', भगवान महावीर के 2500 वां निर्वाण वर्ष के उपलक्ष में विचार कर रही है। योजना इस प्रकार है-नी मंजिल का यह स्तम्भ 108 फीट ऊँचा एक भव्य मन्दिर सदृश होगा। प्रत्येक मंजिल की दीवारें चित्रों, स्थापत्यों, रचनाओं. लेखों आदि मे खचित रहेगी। नवीं मंजिल पर भगवान महावीर स्वामी की काय-प्रमाण चौमुखी प्रतिमा स्थापित होगी । स्तंभ के सन्निकट 5 लाख रुपये की लागत का एक विशाल, और अजोड़ महासुघोषा घंट होगा जो दिन में एक बार बजेगा और उसकी ध्वनि 12 मील तक सुनाई देगी। स्तंभ के पिछले भाग में एक विशाल उपवन बगीचा होगा। जिसमें भांति-भांति के पारिजात, प्राम, अशोक, नीम, प्रासापाला आदि वृक्ष, बेलड़ियां लगाये जायेंगे और बगीचे में 25 पर्वतों की कृत्रिम रचनाएँ भी होगी। इस रचना के पीछे मुख्य हेतु यहाँ के वातावरण को पवित्र रखने और यात्रियों को पवित्रता का अनुभव कराये जाने का है। भावनगर में 'महावीर नगर' और 'क्षत्रिय-कुण्ड' की रचना बनाने का निर्णय लिया गया। गोवा में दिनांक 13-11-74 से 24-11-74 तक दारू, मांस रहित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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