Book Title: Shraman Parampara Ki Ruprekha
Author(s): Jodhsinh Mehta
Publisher: Bhagwan Mahavir 2500 Vi Nirvan Samiti

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Page 88
________________ [74] परिशिष्ट 3 भगवान् महावीर स्तम्भ भगवान् महावीर 2500 व निर्वारण महोत्सव समिति माउण्ट श्राबू ने, संगमरमर के श्वेत पाषाण का एक सुन्दर कलाकृत स्तम्भ 10 फीट ऊँचा श्रौर 4 फीट चौड़ा चतुष्कोण ग्राकार में राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र श्राबू पर्वत पर रुपया 17001 का सद्व्यय कर निर्माण करवाया है जो नक्खी झील पर गांधी गार्डन के प्रमुख स्थान पर स्थित है । इसका उद्घाटन वीर सं. 2502 (वि. सं. 2032 -ई. सं. 1975) को तत्कालीन जिलाधीश सिरोही श्री तुलसीरामजी अग्रवाल के वरद् हस्त से सम्पन्न हुआ तथा संरक्षगार्थ और सुरक्षार्थ, भगवान् महावीर स्तम्भ को नगर पालिका माउण्ट आबू को अर्पण किया गया। इस स्तम्भ का निर्माणकर्त्ता सोमपुरीय शिल्पी श्री काशीराम बी. दवे, भारतीय शिल्प कला केन्द्र पिंडवाड़ा है । भगवान् महावीर स्तंभ का डिजाइन ( नर्ज ) चारों दिशाओं में एक समान है । सबसे उन्नत भाग में सुन्दर कलात्मक शिखर है जिसके चारों तरफ मध्य भाग में निम्न स्तर पर, सिंह की प्रकृति खुदी हुई है और उसके नीचे एक छोटी प्राकृति धर्म चक्र की बनी हुई है और गोलाकार धर्म चक्र में सूक्ष्म अक्षरों में अहिंसा प्रालेखित है । शिखर के नीचे, जैन धर्म का मौलिक सिद्धांत तत्वार्थ सूत्र का प्रथम श्लोक - " सम्यग् दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्ष मार्गः " संस्कृत हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती चारों भाषाओं में अंकित है । तदनन्तर, मध्य भाग में चारों बाजु, 4फीट 9 इन्च लम्बे और 2 फीट 3इन्च चौड़े पट्ट पर जिसके चारों ओर कमल की बेल का बोर्डर बना हुआ है, जैन धर्म के उपदेशभगवान् महावीर की वारणी - प्राकृत, हिन्दी, गुजराती में लिखी हुई है । अंग्रेजी में भगवान् महावीर के उपदेश स्थानाभाव के कारण, दक्षिण और उत्तर के दो छोटे पट्ट 3 फीट 10 इन्च और 9 इन्च पर बाद में नीचे के भाग में है । जैन धर्म के उपदेश के नीचे, प्रशस्ति चारों दिशाओं में और खुदवाये गये हैं जो सबसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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