Book Title: Shraman Parampara Ki Ruprekha
Author(s): Jodhsinh Mehta
Publisher: Bhagwan Mahavir 2500 Vi Nirvan Samiti

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Page 97
________________ [83] 16. जे कोई बोलो ते बोलता पहला विचार करीनेज बोलो। -श्री महावीर वाणी। 4. प्रशस्ति के अक्षर इस प्रकार खुदे हुए हैं: "भयवान् महावीर 2500 वां निर्वाण महोत्सव समिति माउण्ट प्राबू भगवान महावीर स्तंभ नक्खी तलाव अपर पीर सं 2502 ( वि. सं. 2032 ) मा रु. 17001 सद् उपयोग करी शिल्पी काशीराम बो. दवे पासे तैयार करावी नगर पालिका प्राबु पर्वत ने संरक्षणार्थ अर्पण कीनो अने उद्घाटन तारीख 12-11 1975 ई. श्री तुलसीरामजी जिलाधीश सिरोही नां वरद् हस्ते तिथी कार्तिक सुदी 9 संपन्न धयरे, ।। शुभमस्तु॥" 5. गुजराती में 'भगवान महावीर स्तंभ' दर्ज है।। 6. सबसे नीचे ही नीचे, 3 फीट 10 इन्च लम्बी और 9 इन्च मोटी पट्टी पर अंग्रेजी में लाल अक्षरों में भगवान महावीर के उपदेश (Teachings of Lord Mahavir) लिखा हुआ है और फिर भगवान महावीर के उपदेश क्रम 1 से 6 तक अंग्रेजी भाषा में काले अक्षरों में बने हुए हैं। Teachings of Lord Mahavira I. Religion is the highest bliss. Religion means non violence, restraint and penance. Even gods law before bim who is firm in religion. 2. Forgiveness, Contentment, Simplicity and modesty are four entrances to religion. 3. Humility is the root of religion. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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