Book Title: Shraman Parampara Ki Ruprekha
Author(s): Jodhsinh Mehta
Publisher: Bhagwan Mahavir 2500 Vi Nirvan Samiti

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Page 80
________________ [66] ज्ञान प्रसार की दिशा में, राजकीय उच्चतर माध्यमिक पाठशाला आबू के विशाल भवन में डा. प्रेमसुमन, प्रवक्ता प्राकृत संस्कृत विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय का दिनांक 17-2-75 के दिन, 'आधुनिक परिवेश में भगवान् महावीर पर सरल, स्पष्ट और सुसंस्कृत हिन्दी भाषा में सार्वजनिक 'भाषण हुआ। दिनांक 24-3-75 को 'जीवन और धर्म' पर मुनिराज श्री भद्रगुप्त विजयजी का प्रवचन देलवाड़ा जैन मन्दिर श्री वल्लभ लाइब्रेरी में हुआ उसका लाभ समिति के सदस्यों ने उठाया और इसी प्रकार भगवान् महावीर जन्म कल्याणक दिवस चैत्र सुदी 13 तदनुसार 24-4-75 को राजपूताना क्लब माउण्ट आबू में मुनिराज श्री जिनप्रभ विजयजी का सार्वजनिक भाषण हुआ जो कि भगवान् महावीर जन्म कल्याण महोत्सव समिति श्राबू और नवपद आराधक समिति, शिवगंज ने 'भगवान महावीर स्वामी और उनके सिद्धान्त' पर प्रायोजित किया उसका लाभ भी समिति के सदस्यों ने लिया । इस सार्वजनिक सभा में तत्कालीन उपजिलाधीश श्री श्यामसुन्दर श्रीवास्तव, भूतपूर्व सुपरिन्टेन्डेन्ट पुलिस श्री उम्मेदसिंहजी, राजकीय अधिकारी एवं प्राबू के प्रतिष्ठित नागरिक श्रीमती कुर्मी मेहरबानजी और श्री कान्तीलाल उपाध्याय सेकेट्री लायन्स क्लब सहित बड़ी संख्या में जनता उपस्थित थी । दिनांक 24-4 75 को विश्व विख्यात देलवाड़ा जैन मन्दिर से प्रसिद्ध नक्खी भील तक, विशाल और भव्य वरघोड़ा ( शोभा यात्रा) निकला जिसमें सर्व सम्प्रदाय विशेषकर जैन संघ सम्मिलित था । आबू में इतना महान् वरघोड़ा पहली बार यहाँ की जनता ने देखा और बड़ा हर्षोल्लास अनुभव किया । समिति ने भगवान महावीर आधुनिक युग पर निबन्ध प्रतियोगिता भी आयोजित की और उसमें प्रथम पुरस्कार निर्भयकुमार गंगवाल, कुचामन सिटी को 25 रुपया, द्वितीय पुरस्कार 15 रुपया का श्री प्रकाशचन्द्र जैना गुडगांव छावनी हरियाणा को और तृतीय पुरस्कार सुश्री सन्तोषकुमारी सेठ फतहपुर सिटी को 10 रुपये का भेंट किया गया । मंत्री श्री जोध सिंह मेहता ने 'राजस्थान के प्रमुख (श्वेताम्बर जैन मन्दिर' और 'विश्व विख्यात देलवाड़ा जैन मन्दिर' पर लेख लिखे जो क्रमशः जिनवाणी पत्रिका जयपुर और जैन संस्कृति और राजस्थान विशेषांक' और भगवान् महावीर स्मृति ग्रन्थ सन्मति ज्ञान प्रसारक मण्डल शोलापुर में प्रकाशित हो चुके हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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