Book Title: Shraman Parampara Ki Ruprekha
Author(s): Jodhsinh Mehta
Publisher: Bhagwan Mahavir 2500 Vi Nirvan Samiti

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Page 67
________________ [53] और 'भिक्षु न्याय करिणका' ग्रन्थ लिखे हैं। उनकी निश्रा में तेरा पंथ का द्विशताब्दी समारोह बड़े ठाठ बाट से वि. सं. 2017 आषाढ़ पूर्णिमा (8 जुलाई 1960) को मनाया गया, जिसमें राष्ट्र के नेता और विद्वान डॉ. राधाकृष्णन्, श्री मन्ननारायण, श्री जयप्रकाश नारायण और राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़िया आदि सम्मिलित हुए थे। यह समारोह केलवा में मनाया गया जबकि प्राचार्य श्री तुलसी का चतुर्मास राजनगर में था। उस समय 480 साध्वियां करीब 40हजार व्यक्ति 550गांवों के एकत्रित हुए थे। भूतपूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री वी. पी. सिन्हा ने इस समारोह का उद्घाटन किया था। आचार्य श्री तुलसी मणि की रजत बनाम धवल समारोह भी उनके 25 वर्ष प्राचार्य पद पर होने के उपलक्ष में मनाया गया और "प्राचार्य श्री तुलसी अभिनन्दन ग्रन्थ' डॉ. राधाकृष्णन ने समर्पित किया। सम्पादक मण्डल की ओर से श्री जयप्रकाश ने भाषण दिया तथा इस अवसर पर श्री मन्नारायण का भी भाषण हुआ और इनकी अध्यक्षता में 'अणुव्रत विचार परिषद्' भी संयोजित हुई। तेरा पंथ को यह लगभग 200 वर्ष की कहानी है। तेरा पंथ का संगठन एक प्राचार और एक विचार अनुकरणीय है ।। भगवान महावीर का 2500 वाँ निर्वाण महोत्सव : राजा सम्प्रति, राजा कुमारपाल और सम्राट अकबर के राज्यकाल में क्रमशः आर्य सुहास्ति कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य और जगत्गुरु श्री हीरविजयजी सूरि के सदुपदेशों से जो जैन धर्म का उद्योत हुआ, उससे भी महान् जैन धर्म का विश्व-व्यापी प्रचार और प्रसार, भारत के स्वतन्त्र होने के पश्चात्, देश और विदेश में दिनांक 13 नवम्बर 1974 से एक वर्ष तक, भगवान महावीर के 2500 वाँ निर्वाण महोत्सव मनाने से हआ। यह एक अभूतपूर्व महोत्सव था जिसको सर्व सम्प्रदायों के जन श्रमणों (कुछ छुटपुट को छोड़ कर) और जैन श्रावकों ने एक मंच पर एकत्रित होकर उल्लासपूर्वक 1 तेरा पंथ का इतिहास (खण्ड 1) लेखक मुनि श्री बुद्धमलजी, वि. स. 2001, प्रकाशक : साहित्य प्रकाशन समिति कलकत्ता । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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