Book Title: Samyag Darshan Part 03
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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(xv)
अनुक्रमणिका
लेख
आत्मार्थी सम्बोधन आत्मार्थ के लिये सच्ची तत्परता....... ज्ञानी को पहचानने का चिह्न..... ज्ञानी को पहचानने का चिह्न......... सम्यग्दर्शन का उपदेश......... निर्विकल्परस का पान करो. समकित सावन आयो रे.. ज्ञानी की पहचान (१)...... ज्ञानी की पहचान (२).................. चैतन्य की ही शरण करो..... त....त्व....च.... ......... सम्यग्दर्शन के लिये प्राप्त सुनहरा अवसर... आत्मा को साधने की विधि.... आत्मा की धगश..... अनुभव के लिये शिष्य की मङ्गल उमङ्ग. धर्मात्मा का स्वरूप-सञ्चेतन.... बन्धन से छुटकारे का उपाय बतलाकर... जीव का बन्धन क्यों और उससे छुटकारा कैसे?. आत्मार्थी का पहला कर्तव्य. निश्चयसम्यग्दर्शन कैसे प्रगट हो?. आँगन कैसा हो?.
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Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.