________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मोती का प्रकाश
पूज्य आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की बानी में रोचकता, मार्मिकता, चिंतनशीलता एवं अध्ययन परायणता का अहेसास श्रोताओं को प्रतिक्षण होता रहता है। आप में ज्ञान की गहराई, भक्ति की मृदुता एवं अध्यात्म की रहस्यमयता कल कल बहते निर्झर की भांति प्रतिभासित होती हैं। आप में कहीं भी कोई दंश या कटुता का अंश भी देखने को नहीं मिलेगा। जाने आप के मधुर एवं प्रेमसभर व्यक्तितत्त्व का प्रतिबिंब ही यह बानी न हो ! आप का चिन्तन सूत्र बन के आता है, तो आप के द्वारा दिये गये दृष्टान्त आधुनिक मनुष्य के हृदय को स्पर्श कर के रहते हैं। केवल उपदेश ही नहीं, किन्तु व्यवहार में वह कहाँ प्रकट होता है उस का दिशा सूचन भी आप करते हैं । धर्म-सिद्धान्त या तत्त्वज्ञान की कठिन विवेचना भी आपकी बानी में सामान्य मनुष्य को समझ में आ जाय ऐसी सरल बन जाती है। इस ग्रंथ में ‘एक्स-रे', शरीर, खेती, चम्मच जैसे चिर-परिचित विषयों का आलंबन ले के आप अध्यात्म-रहस्य का कोई न कोई मर्म प्रकट कर देते हैं। आप के दृष्टांत बहुजन समाज को आसानी से समझाने वाले और बात के मर्म को श्रोता के दिमाग में ठीक से बैठा देने वाले होते हैं।
विचारों का सरल सौन्दर्य, भावना की साहजिक दीप्ति, और अभिव्यक्ति की निर्व्याज मधुरता का यहाँ | निरन्तर अनुभव होता है। इस का कारण यह है कि उस बानी के पीछे चिंतन की गहराई, अनुभूति की सच्चाई
CDC
For Private And Personal Use Only