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कर्तृ-कर्माधिकार
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प्रकार का है। इसी तरह अविरति, योग, मोह और क्रोधादिक जो भाव हैं वे सब जीव और अजीव के भेद से दो-दो प्रकार के हैं।
विशेषार्थ- मिथ्यादर्शन, अज्ञान, अविरति आदि जो भाव हैं वे सब भाव मयूर और मुकुरुन्द (दर्पण) के सदृश जीव और अजीव दोनों के द्वारा भाव्यमान होने से जीव और अजीव दोनों ही स्वरूप हैं। मयूर और दर्पण के दृष्टान्त को व्यक्तरूप से दिखलाते हैं-जैसे नील, कृष्ण, हरित, पीतादिक जो रूपगुण के विकार हैं वे मयूररूप पुद्गलद्रव्य (शरीर के) द्वारा भाव्यमान होने से मयूर हैं क्योंकि उन नील, कृष्ण, हरित, पीतादिक विकारों का अस्तित्व मयूर से अतिरिक्त नहीं पाया जाता अत: वे सब मयूर ही हैं, और जो मयूर का प्रतिबिम्ब दर्पण में पड़ता है वह दर्पण की ऐसी स्वच्छता है कि जिससे वह मयूर दर्पण में भासमान हो रहा है। यहाँ पर वास्तव में दर्पण में मयर का अस्तित्व नहीं है किन्तु एक ऐसा विलक्षण निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध है कि यदि कोई प्रतिबन्धक न हो तो मयूर निमित्त को पाकर दर्पण की स्वच्छता में मयूर कैसा आकार प्रतिभासमान होता है। वहाँपर जो नील, कृष्ण, हरित, पीतादिभावरूप परिणमन हो रहा है वह दर्पण की स्वच्छता का विकार है। जिस प्रकार दर्पण के द्वारा भाव्यमान होने से नील, कृष्ण, हरित, पीतादिभाव दर्पण ही हैं उसी प्रकार मिथ्यादर्शन, अज्ञान, अविरति इत्यादिक जो भाव हैं वे पुद्गलद्रव्य के द्वारा भाव्यमान होने से अजीव ही हैं तथा मिथ्यादर्शन, अज्ञान, अविरति आदि जो भाव जीव में विकाररूप से होते हैं वे जीव के द्वारा भाव्यमान होने से जीव ही हैं। यहाँ पर यह जानने योग्य है कि जो मिथ्यात्व आदि मोहनीयकर्म की प्रकृतियाँ हैं वे तो अजीवरूप हैं और इनके विपाककाल में जो अतत्त्वश्रद्धादिरूप मिथ्यात्व आदि भाव होते हैं वे जीव हैं।।८७।।
आगे इन मिथ्यात्वादिक भावों में जीव कौन है? और अजीव कौन है? इसका उत्तर देते हैं
पुग्गलकम्मं मिच्छं जोगो अविरदि अणाणमज्जीवं । उवओगो अण्णाणं अविरइ मिच्छं च जीवो दु ।।८८।।
अर्थ- पुद्गलकर्मरूप जो मिथ्यात्व, योग, अविरति तथा अज्ञान हैं वे तो अजीव हैं और उपयोगरूप अर्थात् भावरूप जो अज्ञान, अविरति, मिथ्यात्व तथा योग हैं वे जीव हैं।
विशेषार्थ- जो निश्चयकर मिथ्यादर्शन, अज्ञान, अविरति इत्यादि अजीव हैं वे सब अमूर्तिक चैतन्यपरिणाम से भिन्न मूर्तिकद्रव्यरूप पुद्गलकर्म हैं और जो मिथ्यादर्शन, अज्ञान, अविरति इत्यादि जीव हैं वे सब मूर्तिकपुद्गलकर्म से अन्य
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