Book Title: Samaysara
Author(s): Ganeshprasad Varni
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 521
________________ ४५० समयसार गाथा संख्या ३५८ ३५९ ३१४ २८५ . ८ M C ७४ ८० १०५ ३४३ ३७० ५३ ५१ ५२ २६३ ५० गाथा संख्या जया विमुंचए चेया ३१५ जह सेडिया दु जह कणयमग्गितवियं १८४ जह सेडिया दु जह को वि णरो जंपइ ३२५ जा एस पयडीयटुं चेया जह चिटुं कुब्तो ३५५ जावं अपडिक्कमणं जह जीवस्स अणण्णुवओगो ११३ जाव ण वेदि विसेसंतरं जह ण वि सक्कमणज्जो जिदमोहस्स दु जइया जह णाम को वि परिसो १७ जीवणिबद्धा एए जह णाम को वि पुरिसो ३५ जीवपरिणामहेदु जह णाम को वि पुरिसो १४८ जीवम्हि हेदुभूदे जह णाम को वि पुरिसो १३७ जीवस्स जीवरूवं जह णाम को वि पुरिसो २८८ जीवस्स जे गुणा केइ जह परदवं सेडदि २६१ जीवस्स णत्थि केइ जह परदव्वं सेडदि २६२ जीवस्स णत्थि रागो जह परदळ सेडदि जीवस्स णत्थि वग्गो जह परदवं सेडदि २६४ जीवस्स णत्थि वण्णो जह पुण सो चिय २२६ जीवस्स द कम्मेण य जह पुण सो चेव णरो २४२ जीवस्साजीवस्स दु जह पुरिसेणाहारो १७९ जीवादिसद्दहणं जह फलिहमणी सुद्धो ર૭૮ जीवे कम्मं बद्धं जह बंधे चिंतंतो २९१ जीवे ण सयं बद्धं जह बंधे घितूण य २९२ जीवो कम्म उहयं जह मज्जं पिबमाणो १९६ जीवो चरित्त-दंसण जह राया ववहारा १०८ जीवो चेव हि एदे जह विसमुव जंतो १९५ जीवो ण करेदि घडं जह सिप्पिओ उ कम्मफलं ३५२ जीवो परिणामयदे जह सिप्पिओ उ कम्म ३४९ जीवो बंधो य तहा जह सिप्पिओ उ करणाणि ३५१ जीवो बंधो य तहा जह सिप्पिओ उ करणेहिं ३५० जे पुग्गलदवाणं जह सिप्पिओ उ चिट्ठ ३५४ जो अप्पणा दु मण्णदि जह सेडिया दु ३५६ जो इंदिये जिणित्ता जह सेडिया दु ३५७ जो कुणदि वच्छलत्तं १३७ ३०९ १५५ १४१ ११६ ४२ ६२ १०० ११८ २९४ २९५ १०१ २५३ ३१ २३५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542