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जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...55 उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• आठवीं श्रेणी में दो, एक, दो, एक, दो, एक, दो एवं एक उपवास एकान्तर पारणे से करें।
इस प्रकार आठ श्रेणियों में 96 उपवास और 64 पारणा कुल 160 दिन में यह तप पूर्ण होता है। ___ वर्ग-तप का विधि यन्त्र इस प्रकार है
उपवास 96, पारणा 64, कुल दिन 160 प्रथम श्रेणी | 1 | द्वितीय श्रेणी तृतीय श्रेणी | 2 चतुर्थ श्रेणी पंचम श्रेणी षष्ठम श्रेणी सप्तम श्रेणी अष्टम श्रेणी उद्यापन- इस तप के पूर्ण होने पर बृहद्स्नात्र पूजा करें, परमात्मा के सम्मुख 160-160 नैवेद्य, फल आदि चढ़ायें, यथासामर्थ्य साधर्मी भक्ति, गुरु सेवा एवं संघ पूजा करें।
• जीत व्यवहार के अनुसार इस तप की सम्यक् आराधना हेतु अरिहंत पद का जाप आदि करें।
साथिया खमासमण कायोत्सर्ग माला ... 12 ____12
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20 23. वर्ग-वर्ग तप __वर्ग संख्या को वर्ग संख्या से गुणा करना वर्ग-वर्ग कहलाता है। जैसे- वर्ग
की संख्या 4096 है, उसे इसी संख्या (4096) से गुणा करने पर 16,77,72 16 की संख्या आती है। यही संख्या वर्ग-वर्ग है। इस संख्या के क्रम एवं निर्धारित विधि से जो तप किया जाता है, वह वर्ग-वर्ग तप कहलाता है।
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