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224...सज्जन तप प्रवेशिका
तप के दिन निम्न गुणना करें - जाप
साथिया खमा. कायो. माला श्री तीर्थाधिराजाय नमः
20 20 20 20 30. पंचरंगी तप
इस तप में क्रमश: एक उपवास से लेकर पाँच उपवास का तप किया जाता है तथा प्रत्येक दिन पाँच-पाँच आराधक इसमें सम्मिलित होते रहते हैं। इस तरह पाँचों दिन आराधकों के रूप में एक नया रंग (दृश्य) उपस्थित होता है, इसलिए इसे पंचरंगी तप कहते हैं। अर्वाचीन प्रतियों में इसकी विधि निम्न प्रकार है
प्रथम दिन पाँच आराधक पचोला (लगातार पाँच उपवास करने) का प्रत्याख्यान करें। फिर दूसरे दिन अन्य पाँच व्यक्ति चौले (चार उपवास) का प्रत्याख्यान करें। फिर तीसरे दिन पाँच व्यक्ति तेला का प्रत्याख्यान करें। फिर चौथे दिन पाँच आराधक बेले का प्रत्याख्यान करें। फिर पाँचवें दिन अन्य पाँच आराधक उपवास का प्रत्याख्यान करें।
इस प्रकार इस तप में 25 व्यक्तियों द्वारा उपवास किये जाते हैं तथा यह तप पाँच दिन में पूर्ण होता है। इसी तरह नवरंगी तप समझना चाहिए।
उद्यापन - इस तप के पूर्ण होने पर रथयात्रा (सामूहिक बरघोड़ा) निकालें। 25-25 की संख्या में नैवेद्य आदि चढ़ायें। स्नात्र पूजा रचायें। साधर्मी भक्ति करे।
• इस तपोयोग में ज्ञान की स्थापना करनी चाहिए। फिर तदनुसार साथिया आदि करें
जाप साथिया खमा. कायो.
ॐ नमो नाणस्स 51 51 51 20 31. चन्दनबाला तप
भगवान महावीर ने छद्मस्थ काल में चौदह अभिग्रह एक साथ धारण किये थे। पाँच मास पच्चीस दिनों के पश्चात यह अभिग्रह कौशाम्बी नगरी में चम्पानगरी के दधिवाहन राजा की पुत्री चन्दनबाला के द्वारा पूर्ण हुआ। उस समय चन्दना तीन दिन की उपवासी थी एवं उसने उड़द बाकुला बहराकर प्रभु के संकल्प को पूर्णता दी। चन्दनबाला तप में यही विधि की जाती है। वर्तमान में
माला