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परिशिष्ट-II...271
58. धर्मस्य प्रतिष्ठान मिति चिंतन रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 59. धर्मस्याधार मिति चिंतन रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 60. धर्मस्य भाजन मिति चिंतन रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 61. धर्मस्य निधि सन्निभमिति चिंतन रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 62. अस्ति जीव इति श्रद्धान इति रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 63. स च जीवो नित्य इति रूप सम्यग्दर्शनाय नमः। 64. जीव: कर्माणि करोति इति रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 65. जीवः कृत कर्माणि वेदयती इति रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 66. जीवस्यास्ति निर्वाणमिति इति रूप सम्यग्दर्शनाय नमः 67. अस्ति पुनर्मोक्षोपाय इति रूप सम्यग्दर्शनाय नमः
52. खमासमण- विनय पद की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा
शौच मूलथी महागुणी, सर्व धर्मनो सार ।
गुण अनन्तनो कंद ए, नमो विनय आचार ।। खमासमण के पद 1. श्री अरिहंत आसातना वर्जन रूप विनय गुणाय नमः 2. श्री अरिहंत भक्ति करण रूप विनय गुणाय नमः 3. श्री अरिहंत बहमान करण रूप विनय गुणाय नमः 4. श्री अरिहंत वचन श्रद्धान रूप विनय गुणाय नमः 5. श्री सिद्ध आसातना वर्जन रूप विनय गुणाय नमः 6. श्री सिद्ध भक्ति करण रूप विनय गुणाय नमः 7. श्री सिद्ध बहुमान रूप विनय गुणाय नमः 8. श्री सिद्ध स्तुति करण तत्पररूप विनय गुणाय नमः 9. सुविहित चन्द्रादि कुलासातना वर्जन रूप विनय गुणाय नमः 10. सुविहित चन्द्रादि कुल भक्ति करण रूप विनय गुणाय नमः 11. सुविहित कुल बहुमान रूप विनय गुणाय नमः 12. सुविहित कुल संस्तुति करण रूप विनय गुणाय नमः 13. सुविहित कौटिकादि गण भक्ति करण रूप विनय गुणाय नमः