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35. वृद्धानुग गुण श्री तीर्थाय नमः 36. रत्नत्रयी शुद्धाय श्री तीर्थाय नमः 37. परहित कारण गुण श्री तीर्थाय नमः 38. लब्ध लक्ष्यगुण युक्ताय श्री तीर्थाय नमः
परिशिष्ट - II ... 285
सूचना
• उक्त सारणी में जिस तप विधि के खमासमण नहीं हो उनमें उस तप की माला फेरने का जो पद हो, उसे बोलते हुए खमासमण दें। जैसे कि तेरह काठिया तप, क्षीरसमुद्र तप, श्रुतदेवता तप, पैंतालीस आगम तप, नवनिधि तप, नवकार तप, नव ब्रह्मचर्य तप, चतुर्विध संघ तप, तीर्थंकर मातृ तप, दस प्रत्याख्यान तप, पैंतालीस आगम तप आदि में जिस पद की माला फेरी जाती है उसका नामोच्चारण करते हुए खमासमण देने चाहिए।
• चैत्री पूर्णिमा एवं कार्तिक पूर्णिमा की तप विधि विस्तृत है। इसलिए इन तपों का उल्लेख नहीं किया है।