Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

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Page 5
________________ भगवान् श्री शिव प्रकाशेश्वर महादेव भगवान तो सदा ही प्राणी मात्र के हृदय में विराजे हुए हैं। परन्तु जब तक ज्ञान रूपी नेत्रों से देख नहीं लेता, तब तक उनके आश्रित नहीं हो पाता । जब से मैंने भगवान् प्रकाशेश्वर को समझा और देखा, सभी प्रकार के पाप तापों का नाश हो गया। भगवान् प्रकाशेश्वर 'शिव रत्न केन्द्र' के तो इष्टदेव हैं। उनकी कृपा से 'शिव रत्न संस्थान' सदा उन्नति के पथ पर अग्रसर हैं। श्री प्रकाशेश्वर महादेव की जय !! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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