Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

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Page 3
________________ ॐ नमः शिवाय 20/12/02 रत्न-ज्ञान [धारण-विधि एवं लाभ ] (श्री प्रकाशेश्वर महादेव के चरणों में सादर सर्पित) प्रकाशक : शिव रत्न केन्द्र (रजि०) लेखक एवं स्वामी : योगीराज मूलचन्द रखती पुस्तक मिलने का एकमात्र स्थान : शिव रत्न केन्द्र (रजि०) सन्तल सराय, ऊपरी मंजिल, गऊघाट हरिद्वार पो० बॉ० नं०-५५ फोन : ६६६५ प्रथम संस्करण: १६८२ द्वितीय संस्करण : १९८४ तृतीय संस्करण : १९८६ चतुर्थ संस्करण : १९८७ पंचम संस्करण: १९८८ षष्टम् संस्करण : १९८६ सप्तम् संस्करण : १९६० अष्टम् संस्करण ! १९६१ नोट-इस पुस्तक के किसी भी भाग की नकल करना कानूनी जुर्म है www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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