Book Title: Purn Vivaran
Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 10
________________ (=) देने को कौन उपस्थित हुआ था, परन्तु विज्ञानको शिक्षा के कारण Soul and matter की विवेचना हुई तो अपने आप आत्माका महत्व श्रात्मापर जम गया और अनेक पुरुषोंने मांसादि अभक्ष्य पदार्थोंका त्याग अहिंसा धर्मको धारण किया, जो जैन धर्मका एक मुख्य अंग है । कुछ दिन हुए अंग्रेज़ी के लीडर नामक पत्र में यह बात पढ़कर अत्यन्त आनन्द हुआ कि अमेरिका के प्रेसीडेन्टने एक नियम निकाला है कि जानवरोंके आपस में युद्ध कराकर हास्यविनोद प्राप्त करना उन जानवरोंको अत्यन्त कष्टदाई है । इस प्रकार अबस देश में राजनियम द्वारा कारगृह वा आर्थिक दंडसे इस प्रकारका विनोद बंद किया गया। मांसाहारी पुरुषोंके चित्त में जो इस बारीक हिंसा से हानिका लक्ष्य हुआ है यही सत्यता की विजय है। लंडनकी विजिटेरियन सोसाइटी शीघ्रता से मांस भोजन का देशसे निष्काशन कर रही है, यह अहिंसा धर्मके प्रचारका दूसरा नमूना है । पत्रोंके पढ़नेसे ज्ञात हुआ है कि कुछ लंडन निवासी महाशयोंने जैनधर्मका उपदेश सुना और वे जैनधर्मानुयायी हुये । कहमेका सारांश यह है कि सर्व जीव हितकारी जैनधर्मके तत्वोंकी शिक्षा काप्रचार वैज्ञानिक देशों में पत्रादि द्वारा किया जाय तो बिना कठिनता के स फलता प्राप्त होना सम्भव है । यह कार्य उन महाशयों से हो सकता है जो इंगलिश भाषा के साथ २ धर्मकी तात्विक शिज्ञाके भी जानकार हैं ॥ यहांके कतिपय उत्साही योग्य कुमारोंने एक सालसे “जैनकुमार" नामक सभा स्थापित कर रक्खी है जिसके द्वारा अपनी उन्नतिका मार्ग बढ़ा रहे हैं ध्यान उक्त जैनकुमार सभाका वार्षिकोत्सव है । मेरी प्रान्तरिक इच्छा है कि जैसी कुमारसभा यहां है वैसी जैनजातिमें प्रायः हर जगह हों, क्योंकि वाल्यावरथा से जो विचार स्थिर होते हैं वे भविष्य में बड़े लाभकारी होते हैं । सभा सोसायटी के मेम्बर होने तथा उनमें योग देनेसे अतुल लाभ होते हैं; वासी की चतुरता मालूमहतका कोष, कामका उत्साह, वात्सल्यता, देशहित, धर्मकी ढूंढ़ता, विचारोंकी तथा शुद्धाचरणों की उच्चता आदि अनेक महत् गुण केवल एक सभा सत्संगसे प्राप्त होते हैं जिनकी नवयुवकों के लिये मुख्य 'करको अत्यन्त जावश्यकता है । वृटिश सुराज्यमें हर मनुष्यको अपनी उन्नति करनेकी स्वतंत्रता है, इस स्वतन्त्रता में भारतको प्रायः सबही समाज उन्नति के मैदान में छारूढ़ हैं ।

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