Book Title: Purn Vivaran Author(s): Jain Tattva Prakashini Sabha Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha View full book textPage 9
________________ (७) और आशा करता हूं कि अगर मेरी ओरसे इस कार्य में कोई त्रुटि रहेगी तो विद्वज्जन मुझे क्षमा करेंगे। प्रिय सज्जन पुरुषी ! इस स्थानपर हम लोगोंके उपस्थित होने का मुख्य | कारण यह है कि प्रापम के सम्मेलनसे धार्मिक तथा लौकिक उन्नति पर वि. चार किया जावे, इस प्रकार सभा मोंका स्थान २ पर बार बार होना बड़ा लाभकारी है। मेलों में दूर दूरसे हज़ारों स्त्री पुरुष पाते हैं और धार्मिक लाभ उठाते हैं। यद्यपि आजकल जैसा चाहिये वैसा मेलोंसे लाभ नहीं है क्योंकि जिम कार्यके अर्थ मेलों की स्थापना कीगई थी उसका परिवर्तन अन्यरूपसे होता जाता है और धर्मोन्नति व जात्योन्नतिपर कोई विशेष विचार नहीं होता। इस बातपर विचार कर विद्वानोंने सभाओं द्वारा इस त्रुटिको दूर करने की चेष्टा की और वे इसमें फलीभूत हुए, भाजको सभा इस फलप्राप्तिका एक खास नमूना है। प्राचीनकाल में जाति व धर्मसम्बन्धी समस्त कार्य पंचायतों द्वारा दी सम्पादित होते थे, परन्तु कई एक कारणोंसे अब पंचायतें इस उन्नतिकी मोरसे मौनस्य हैं। संसारका काम रुका नहीं रहता किमी न किसी सूरतमें अपना मार्ग बना ही लेता है। सभा सुसाइटियोंके स्थापन होनेसे जातिसु. धारमें लाभ पहुंचा है पर खेदके साथ कहना पड़ता है कि अनेक स्थानोंमें सभाओंकी स्थापना ही नहीं हुई और जहां कहीं हुई है उनमें से कई सभाभोंने तो बातोंके सिवाय अधिक कार्य नहीं किया। जव मैं "तत्वप्रकाशिनी सभा इटावा की ओर लक्ष्य डालता हूं तब मुझे खुशी होती है। यह सभा अवश्य कार्य करने में तत्पर है और जो कुछ कार्य अबतक किया वह प्रशंस नीय है। धन्य है उन महाशयोंको जो अपने गृहकार्यों से छुट्टी पाकर इस प्रकार दूर देशान्तरों में धार्मिक उन्नतिके अर्थ प्रयत्नशील हैं। पदार्थ विज्ञानको प्रबन्न शिक्षा प्रचारके कारण भमंडल के अनेक मतमतान्तरोमें खलबली पड़ी हुई है, परन्तु इस खलबली में जैनधर्म दृढ़ताक सांप प्रदान किया जारहा है। जिन नांगल भाषाके उच्च वेत्ताभोंने जैनधर्मका अध्ययन किया वह इस धर्मको फिलासोफ़ी तथा तत्त्व विज्ञानपर मुग्ध हो गये । सत्यको ऐसा कुछ महात्म्य है कि वह असत्यतासे कितनी ही क्यों न दबाई जाय समय पाकर अपने आप प्रकाशमें भाजाती है। अमेरिका इंगलैंड भादि देशों में जहां हिंसाका अत्यन्त प्रचार है अहिंसा धर्मको शिक्षाPage Navigation
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