Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 10
________________ -अधिगाणं -अधिकानाम् (देखो, -अप्पगा -आत्मकाः (देखो, णेयप्पगा, गुणाधिगाणं) पुग्गलदव्वप्पगा, पोग्गल-अधिगेसु -अधिकेषु (देखो, विसय- दव्वप्पगा) ____ कसायाधिगेसु) -अप्पगाणि -आत्मकानि (देखो, -अधिगो -अधिकः (देखो, तवोधिगो) गुणप्पगाणि) -अधिदव्वं -अध्येतव्यम् (देखो, अप्पगेहिं आत्मकै: 1.73 समधिदव्वं) - अप्पगे हिं -आत्मकैः (देखो, अधिवसदु अधिवसतु 3.70 पोग्गलदव्वप्पगेहिं) . अधिवासे अधिवासे 3.13 - अप्पगो -आत्मकः (देखो, अपत्थणिज्जं अप्रार्थनीयम् 3.23 उवओगप्पगो, सुहोवओगप्पगो) अपदेसं अप्रदेशम् 1.41 अप्पडिकम्मं अप्रतिकर्म 3.5 अपदेसो अप्रदेशः 2.45, 71 अप्पडिकुटुं अप्रतिक्रुष्टम् 3.23 अपयत्ता अप्रयता 3.16 अप्पडिपुण्णोदरं अपरिपूर्णोदरः 3.29 अपरिच्चत्तसहावेण अपरित्यक्तस्वभावेन अप्पडिबद्धो अप्रतिबद्धः 3.26 - 2.3 अप्पणो आत्मनः 1.7, 57, 81, 90; अपारं अपारम् 1.77 2.25, 42, 63; 3.28 अपुणब्भवकामिणो अपुनर्भवकामिनः अप्पदेसो अप्रदेशः 2.46 3.24 अप्पलेवी अल्पलेवी 3.31 अपुणब्भवकारणं अपुनर्भवकारणम् 3.6 अप्पा आत्मा 1.11, 27, 27, 27, अपुणब्भावं अपुनर्भावम् 3.56 65, 69, 87, 90; 2.33, 34, अप्पं अल्पम् 3.23 63, 81, 86, 95, 96, 101; अप्पगं आत्मकम् 1.79; 2.59, 67, 3.27 __ 100, 102 --अप्पा -आत्मा (देखो, उवओगप्पा, -अप्पगं -आत्मकम् (दखो, णाणप्पगं, परिणदप्पा, परिणामप्पा, पसंतप्पा) सादप्पगं) अप्पाओग्गेहिं अप्रायोग्यैः 2.76 -अप्पगस्स -आत्मक स्य (देखो, अप्पाणं आत्मानम् 1.27, 33, 80, पोग्गलजीवप्पगस्स) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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