Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 21
________________ 16 कारणं, बंधकारणं) किं किम् 1.67; 2.20; 3.24 - कारणदा -कारणता (देखो, किंचण किञ्चनम् 3.24 ठाणकारणदा) किंचि किञ्चित् 1.22; 3.4 कारयिदा कारयिता 2.68 किच्चा कृत्वा 1.4, 82 -काल -काल (देखो, तिक्कालणि- किध कथम् 1.49; 2.81; 3.21, 33, च्चविसम) 36 कालं कालम् 1.70; 3.22, 31, 71 किरिय क्रिया 2.30 -कालं -कालम् (देखो, तत्कालं, किरियं क्रियाम् 3.7 सव्वकालं) किरिया क्रिया 1.45; 2.24, 24, 28, - कालड्ढो - कालढ्यः (देखो, 30; 3.11 धम्माधम्म-त्थिकायकालड़ढो) किरियासु क्रियासु 3.65, 67 -कालम्हि -काले (देखो, सस्स- किरियाहिं क्रियाभिः 1.21 कालम्हि) __-किरियाहिं -क्रियाभिः (देखो, कालस्स कालस्य 2.42, 43, 49 अब्भुट्ठाणप्पधाणकिरियाहिं) कालाणसब्भावो कालाणुसद्भाव: 2.51 किह कथम् 1.72; 2.59; 3.58 -कालिगा -कालिका (देखो, कीरदि कुरुते 2.91 तक्कालिगा) कुणदि करोति 1.66, 89; 2.25, 57; -कालिगे -कालिकान् (देखो, 3.50 . तिक्कालिगे) -कुणदि -करोति (देखो, उवकुणदि) - कालियं -कालिकम् (देखो, कुणरो कुनरः 1.12 तक्कालियं) __ कुदेवेसु कुदेवेषु 3.57 काले काले 1.44 कुलरूववयोविसिटुं कुलरूपवयोविशिष्टम् - काले -काले (देखो, तक्काले, 3.3 सव्वकाले) कुलिसाउहचक्कधरा कुलिशायुधचक्रधरा कालेण कालेन 1.88; 3.75 1.73 कालो कालः 2.44, 47 कुव्वं कुर्वन् 2.92 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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