Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 41
________________ 36 पज्जाओ पर्यायः 2.11, 60 बद्धो) पज्जायं पर्यायः 1.39 पडिवज्जदु प्रतिपद्यताम् 3.1, 52 पज्जाया पर्यायाः 1.38, 38, 87; 2.1, पडिवण्णो प्रतिपन्न: 2.98 9, 61 -पडिवत्ती - प्रतिपत्तिः (देखो, - पज्जाया - पर्यायाः (देखो, अब्भुट्ठाणा-णुगमणपडिवत्ती) गुणपज्जाया, सव्वदव्वपज्जाया) पडुच्च प्रतीत्य 1.50; 2.44 पज्जायेण पर्यायेण 2.23 पणटुं प्रणष्टम् 2.11 -पडिकम्मं -प्रतिकर्मम् (देखो, पणदो प्रणत: 3.3 . अप्पडिकम्म) पणमं प्रणामम् 3.62 -पडिकम्मत्तं -प्रतिकर्मत्वम् (देखो, पणमामि प्रणमामि 1.1 णिप्पडि-कम्मत्त) पणमिय प्रणम्य 3.1 - पडिकुटुं - प्रतिक्रुष्टम् (देखो, पणिवदणीया प्रणिपतनीया 3.63 . अप्पडिकुटुं) पण्णत्तं प्रज्ञप्तम् 1.8, 40; 2.5 पडिच्छ प्रतीच्छ 3.3 पण्णत्ता प्रज्ञप्ताः 3.9 -पडिच्छगा -प्रत्येषकाः (देखो, पण्णत्तो प्रज्ञप्तः 1.52 __ तप्पडिच्छगा) पत्तेगं प्रत्येकम् 1.3, 3 पडिच्छगो प्रत्येषकः 3.66 - पत्थणिज्जं -प्रार्थनीयम् (देखो, पडिच्छंति प्रतीच्छन्ति 1.62 अपत्थणिज्ज) -पडिपुण्ण- -परिपूर्ण- (देखो, अप्पडि- -पद -पद (देखो, जधत्थपदणिच्छिदो) पुण्णोदरं) - पदत्था -पदार्थाः (देखो, विदिदपपडिपुणं परिपूर्णम् 3.42 पडिपुण्णसामण्णो परिपूर्ण श्रामण्यः -पदि -पतिम् (देखो, सव्वलोगपदि) पदुस्सेदि प्रद्वेष्टि 2.83 -पडिबद्धा -प्रतिबद्धाः (देखो, तप्पडि- -पदेस- -प्रदेश- (देखो, आगासपदेसबद्धा) सण्णया, दुपदेसादित्तं) -पडिबद्धो -प्रतिबद्धः (देखो, अप्पडि- पदेसं प्रदेशम् 2.46, 71 दत्था ) 3.14 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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