Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 59
________________ 54 -संजुत्तं - संयुक्तम् (देखो, उप्पादव्वयधुवत्तसंजुत्तं, कम्मसंजुत्तं) -संजुदो - संयुतः (देखो, संजमत - संबद्धो संबद्ध: 2.53 वसंजुदो ) - संठाणं - संस्थानम् (देखो, अणिद्दिट्ठसंठाणं) - संठाणा - संस्थाना: (देखो, ससंठाणा) संठाणादिप्पभेदेहिं संस्थानादिप्रभेदैः 2.60 परिणामसंबद्ध) -संबद्धा - संबद्धान् (देखो, सत्तासंबद्धा) - संबद्धो - संबद्ध: (देखो, ठिदिसंभवणा- ससंबद्धो) - संभव- - संभव - (देखो, ठिदिसंभवणास संबद्धो ठिदिसंभवणाससमवायो) Jain Education International - संभवं संभवम् 1.51 - संभवं -संभवम् (देखो, देहसंभवं ) संभवठिदिणाससण्णिदट्ठेहिं संभवस्थितिनाशसंज्ञितार्थैः 2.10 संठाणादिहिं संस्थानादिभिः 2.61 - संतत्ता --संतप्ताः (देखो, दुक्खसंतत्ता) संत संतत 3.16 संति सन्ति 1.31, 74, 2.9, 49, 51, संभवठिदिणाससण्णिदा संभवस्थितिनाशसंज्ञिताः 2.51 संभवदि संभवति 1.91 संभवपरिवज्जिदो संभवपरिवर्जित: 1.17 संभवविलया संभवविलयौ 2.27 संभवविहीणो संभवविहीन : 2.8 52, 99, 101 - संदेहो - संदेह: (देखो, असंदेहो) - संपजुत्तो -संप्रयुक्त: (देखो, संजमतवसुत्तसंपजुत्तो) संपज्जदि संपद्यते 1.6 - संपत्ती - संप्राप्तिः (देखो, णिव्वाण- संभासा - संभाषा (देखो, लोगिगजण संभासा संभूदो संभूतः 2.60 संवुडो - संवृतः (देखो, पंचेंदियसंवुडो) -संसग्गं संसर्गम् (देखो, लोगिगजण संपत्ती) संपयामि - संपद्ये (देखो, उपसंपयामि) - संपयोग - संप्रयोग (देखो, सुद्ध संपयोगजुदो) संपुण्णसामण्णो संपूर्ण श्रामण्यः 3.72 संबंधो संबन्ध: 2.83 -संबद्धं - संबद्धम् (देखो, अहिसंबद्धं, संसारं संसारम् 1.77 संसग्ग) संसरमाणस्स संसरत : 2.28 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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