Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 33
________________ णित्थारगा निस्तारकाः 3.58 णित्थारयति निस्तारयन्ति 3.60 - निर्दिष्ट - (देखो, - णिद्दिट्ठ अणिद्दिसंठाणं) णिद्दिटुं निर्दिष्टम् 3.25 णिद्दिट्ठा निर्दिष्टा: 2.2, 69; 3.73 णिद्दिट्ठो निर्दिष्ट: 1.7, 16; 2.16, 97 णिद्धत्तणं स्निग्धत्वम् 2.72 णिद्धत्तणेण स्त्रिग्धत्वेन 2.74 णिद्धा स्निग्धा 2.73 - णिद्धेण णिबद्धो निबद्ध: 3.14 - णिबद्धो चदुगुणणिद्धेण) णिद्धो स्निग्धः 2.71 णिप्पडिकम्मत्तं निःप्रतिकर्मत्वम् 3.24 णिरुभित्ता निरुध्य 2.104 णिरूवलेवो निरुपलेप: 3.18 णिप्फलो निःफल: 2.24 णिबंधाणि निबन्धान् 3.13 णिबद्धं निबद्धम् 3.15 - णिबद्धं - निबद्धम् (देखो, सब्भावणिबद्धं, सदसब्भावणिबद्धं) - निबद्ध: (देखो, पाणणिबद्धो, पोग्गलजीव णिबद्धो) - णिमित्तं - निमित्तम् (देखो, वेज्जावच्चणिमित्तं) 28 णिरवसेसं निरवशेषम् 1.32 णिरवेक्खं निरपेक्षम् 3.51 - स्निग्धेन (देखो, णिरवेक्खो निरपेक्ष: 3.20 - णिरावे क्खो - निरापेक्ष: (देखो, इहलोगणिरावेक्खो) णिम्ममत्तम्मि निर्ममत्वे 2.108 Jain Education International णिम्मोहं निर्मोहम् 1.90 णियदं नियतम् 1.29; 2.9; 3.44 णियदयो नियतय: 1.44 णियदिणा नियत्या 1.43 - णियम- - नियम- (देखो, वदणियमज्झयणझाणदाणरदो) णियमा नियमात् 1.86 णिरदा निरता: 2.2 - णिवदिदं - निपतितम् (देखो, अणक्खणिवदिदं) - णिविट्ठ - निविष्टम् (देखो, अणुणिविट्ठ) णिव्वत्ता निर्वृत्ता: 2.55 - णिव्वत्ता - निर्वृत्ता: (देखो, णामकम्मणिव्वत्ता, सहावणिव्वत्ता) - णिव्वत्तो - निर्वृत्तः (देखो, अत्थित्तणिव्वत्तो) णिव्वाणं निर्वाणम् 1.6; 3.74 णिव्वाणमग्गस्स निर्वाणमार्गाय 2.107 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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