Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 19
________________ एसो एषः 2.16, 24, 87, 97 एहिगेहि एैहिकै : 3.69 ओ - ओगाढ - अवगाढः (देखो, विसय कसा ओगाढो) ओगाढगाढणिचि अवगाढ़गाढनिचितः 2.76 ओगेण्हित्ता अवगृह्य 1.55 ओग्गहादिहिं अवग्रहादिभि: 1.59 ओदइया औदयिकी 1.45 ओरालिओ औदारिकः 2.79 ओहिचक्खू अवधिचक्षुषः 3.34 क कं कम् (किम् ) 2.105 -कंचणो -काञ्चन: (देखो, समलोडुकंचणो) - कंपय - कम्पय (देखो, अणुकंपयोवयारं) कत्ता कर्ता 2.30, 34, 68, 70, 92, 92, 94 कत्तारं कर्तारम् 1.1 कत्तीणं कर्तृणाम् 2.68 कथं कथम् 1.25 कदं कृतम् 3.57 कदाई कदाचित् 2.94 कधं कथम् 2.14,21; 3.21 14 Jain Education International - क धम्हि विकधम्हि ) - कथायाम् (देखो, कमलं कमसो कम्म कर्म 2.30, 84 -कम्म- -कर्म- (देखो, णाणकम्मफलभावी, णामकम्मणिव्वत्ता) कम्मइओ कार्मण: 2.79 कम्मं कर्मम् 1.42; 2.25, 29, 29, 32, 33, 34, 81, 87; 3.38 कमलम् 3.18 क्रमश: 1.50 कम्मंसा कर्माशा: 1.43 - कम्मं सा — -कमांशाः (देखो, खविदकम्मंसा) कम्मक्खओ कर्मक्षय: 3.20 कम्मणो कर्मण: 2.31 - कम्मत्तं - कर्मत्वम् (देखो, पडिकम्मत्तं) कम्मत्तगदा कर्मत्वगताः 2.78 कम्मत्तणपाओग्गा 2.77 For Private & Personal Use Only कर्मत्वप्रायोग्याः कम्मधूलीहिं कर्मधूलिभि: 2.94 कम्मफलं कर्मफलम् 2.56 कम्मभावं कर्मभावम् 2.77 कम्ममलिमसो कर्ममलीमस: 2.29, 58 कम्मरयं कर्मरज: 2.95 www.jainelibrary.org

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