Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 18
________________ उवदेसो उपदेश: 1.87; 2.84; 3.61 - उवदे सो - उपदेश: (देखो, जिणिदपूजोवदेसो, दंसणणावदेसो, धम्मुवदेसो) उवधि उपधिम् 3.23, 31 उवधिम्हि उपधौ 3.15 उवधीदो उपधे: 3.19 उवभुंजदि उपभुङ्क्ते 2.56 -उवमं -उपम्यम् (देखो, अणोवमं) उवयरणं उपकरणं 3.25 उवयादि उपयाति 3.44 उवयारं उपकारम् 3.51 - उवयोग- -उपयोग- ( देखो, असुभोव-योगरहिदा) उवरदपावो उपरतपाप: 3.59 उवलद्धो उपलब्धवान् 1.81 उवलब्भ उपलभ्य 1.88 उववासादिसु उपवासादिषु 1.69 उवहिं उपधिम् 3.73 उवसेवी उपसेवी 3.59 उवासणं उपासनम् 3.62 उवासेया उपासेया: 3.63 उस्सासमेत्तेण उच्छ्वासमात्रेण 3.38 ए एकसमयम्हि एकसमये 2.50 एक्कं एक: 3.29 13 Jain Education International एक्कम्मि एकस्मिन् 2.10 एक्को एकः 2.49, 99 एगं एकम् 1.48, 49; 2.5, 14 एगंतियं एकान्तिकम् 1.59 एगंतेण एकान्तेन 1.66 - एगभत्तं - एक भक्तम् (देखो, ठिदिभोयण-मेगभत्तं) एगम्हि एकस्मिन् 2.51 एगादी एकादि 2.72 एगुत्तरं एकोत्तरम् 2.72 एदाणि एतानि 1.85 एदे एतान् 1.91; 3.9, 71, 75 एयग्गं एकाग्य्रम् 3.32 एयग्गगदो एकाग्यगत: 3.32, 42 एव एव 1.3, 15, 16, 17, 22, 24, 32, 50, 50, 52, 56, 57, 60, 65, 68, 69, 76, 91; 2.10, 11, 12, 15, 16, 27, 34, 68, 68, 84; 3.54 - एव - एव (देखो, चेव, तहेव, सयमेव, णेवण्णोणेसु) एवं एवम् 1.77, 78; 2.19, 21, 91, 100, 102, 107;3.1 एस एष: 1.1; 2.51 - एसणं - एषण: (देखो, अणेसणं) एसा एषा 3.54 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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