Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika
Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 12
________________ अवगासं अवकाशम् 2.48 अवगाहो अवगाहः 2.41 - अवट्ठिदं सदवट्ठिदं) - अवट्ठिदो - अवस्थित: (देखो, सभावसमवट्ठिदो, समवट्ठिदो, सहावसमवट्टिदो) अवत्तव्वं अवक्तव्यम् 2.23 अवसत्ता अवसक्ताः 3.73 अववददि अपवदति 3.65 - अवसाणं अज्झवसाणं) असद्दं अशब्दम् 2.80 - अवसेसं - अवशेषम् (देखो, असद्दो अशब्द: 2.71 - अवसानम् (देखो, णिरवसेसं) अवि अपि 1.52, 52; 3.68, 69 - अवि -अपि (देखो, केणवि, णवि) अविजाणंतो अविजान् 3.33 अविदिदपरमत्थेसु अविदितपरमार्थेषु 3.57 - अवेक्खो णिरवेक्खो) - अवस्थितम् (देखो, अव्वत्तं अव्यक्तम् 2.80 Jain Education International - अपेक्ष: (देखो, अविसुद्धस्स अविशुद्धस्य 3.20 -अवेक्खं - अपेक्षम् (देखो, णिरवेक्खं, परावेक्खं) अव्युच्छिण्णं अव्युच्छिन्नम् 1.13 असंखा असंख्या 2.43 असंजदजणेहिं असंयतजनैः 3.23 असंजदो असंयत: 3.36, 37 असंजमो असंयमः 3.21 असंदेहो असंदेहः 2.105 असक्कं अशक्यम् 1.40 असत असत् 2.13 - असब्भाव -असद्भाव (देखो, भावणिबद्धं ) असब्भूदा असद्भूता: 1.38 -असब्भूदा - असद्भूता (देखो, सदसब्भूदा) असहता असहमाना: 1.63 - अविसिहं - अविशिष्टम् (देखो, असुभोवयोगरहिदा अशुभोपयोगरहिताः सदविसिट्ठ).. 3.60 - अविसिट्ठो - अविशिष्टः (देखो, असुर- -असुर - (देखो, देवासुर सदविसिट्ठी) मणुराय विहवेहि, सुरासुरमणुसिंदवंदिदं, मणुयासुरामरिंदा) सदस असुह अशुभ 1.12; 2.67 असुहम्हि अशुभे 2.95 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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