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स्वर्गीय श्रीमान् सेठ हस्तीमल जी मेहता :
एक परिचय शरद पूर्णिमा के चाँद की तरह जो अपनी दुग्ध - धवल ज्योत्स्ना से जन-जन के मन को मुग्ध करता हो, उस लुभावने और सुहावने जीवन को कौन विस्मृत हो सकता है ? शायर के शब्दों में कहा जाय तो
जिन्दगी ऐसी बना जिन्दा रहै दिलशाद तू । जब न हो दुनियाँ में तो, दुनिया को आये याद तू ॥
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