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प्रकाशकीय अपने प्रबुद्ध पाठकों के कर-कमलों में विचारोत्तेजक रूपक तथा लघु कहानियों का संग्रह :--'प्रतिध्वनि' प्रदान करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता है।
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक हैं-स्थानकवासी समाज के उदीय मान तरुण-साहित्यकार श्री देवेन्द्र मुनि जी शास्त्री, साहित्यरत्न, और सम्पादक हैं-श्रीचन्द सुराना 'सरस' ।
पुस्तक भाव, भाषा,शैली आदि सभी दृष्टियों से नूतनता लिए हुए है । कहानी साहित्य में यह एक नवीन शैली है । कथाओं के पूर्व विश्वविद्युत विचारकों के चिन्तनसूत्र दिये गये हैं, जो हृदय को विद्युत की तरह स्पर्श करते हैं । 'खिलती कलियाँ मुस्कराते फूल' के पश्चात् उसी शैली में यह दूसरी पुस्तक है ।
इस पुस्तक के प्रकाशन का सम्पूर्ण अर्थसहयोग दानवीर स्वर्गीय श्रीमान् सेठ हस्तीमल जी मेहता की धर्मपत्नी, धर्मानुरागिणी शान्ताबाई की आज्ञा से उनके सुपुत्र श्रीमान् चन्दनमल जी मेहता ने प्रदान किया है, एतदर्थ हम उनके हृदय से आभारी हैं । हमें आशा ही नहीं, अपितु दृढ़ विश्वास है कि उनका उदार सहयोग हमें समय-समय पर मिलता रहेगा।
-शान्तिलाल जैन
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