Book Title: Prathamam Girvan Sahitya Sopanam
Author(s): Ramchandra B Athavale, Rasiklal C Parikh
Publisher: S B Shah Co
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प्रथमं गीर्वाण साहित्यसोपानम्।
। सूक्तिरत्नानि ।
प्रथमो हारः
करबदरसदृशमखिलं भुवनतलं यत्प्रसादतः कवयः। पश्यन्ति सूक्ष्ममतयः सा जयति सरस्वती देवी ॥१॥ विद्यया शस्यते लोके पूज्यते चोत्तमैः सदा । विद्याहीनो नरः प्राज्ञः सभायां नैव शोभते ॥२॥ किं कुलेन विशालेन शीलमेवात्र कारणम् । कृमयः किं न जायन्ते कुसुमेषु सुगन्धिषु ॥३॥ उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥ ४॥
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