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संग्रहणीसूत्र. बेहु रीते प्रश्न करनारनी शंका टाली. जेम मसीना एक टीपाश्री स्फा।टकनो कटको कालो देखाय, तेम राहुना योगे चंडमा कालो देखाय . ॥ हवे जंबुझीपने विषे तथा बीजा पण मनुष्यदेत्रमा एक ताराथी बीजा ॥ ॥ ताराना विमानोर्नु पर्वतादिकना व्याघाते जघन्योत्कृष्ट अंतर, अने ॥
॥ व्याघातविना जघन्योत्कृष्ट अंतर केटढुं होय ? ते कहे . ॥ तारस्सय तारस्सय ॥ जंबुद्दीवंमि अंतरं गुरुयं ॥ बारस जोयण
सहस्सा ॥ उन्निसया चेव बायाला ॥६॥ अर्थ-तारस्सयतारस्सय के एक ताराना विमानथकी बीजा ताराना विमानने जं. बुद्दीवंमि के० था जंबुछीपनेविषे गुरुयं के उत्कृष्टुं जो अंतरं के अंतर होय तो केटलुं होय ? ते कहे . बारसजोयण सहस्सा के बार हजार योजन उपरे उन्निसया के0 बसो चेव के निश्चेथकी. वली बायाला के बेतालीस उपर एटले (१२२४२) योजननुं अंतर होय. ते मेरुपर्वतने व्याघाते ए अंतर जाणवू. जेम मेरु, पृथीवि नीचे दश हजार योजन जामो, तेम वली मेरु तथा ताराने एक बाजुए, (१९५१) योजनन अंतर , तेQज बीजी बाजुए पण (१९२१) योजन- अंतर बे, माटे ए त्रणनी संख्या एकठी करीए, तेवारे एक ताराश्री बीजा ताराचं उत्कृष्टुं अंतर (१२२४२ ) योजन थाय. ॥१॥
॥ हवे व्याघाते तथा निर्व्याघाते जघन्य तथा उत्कृष्टुं अंतर कहे . ॥ निसढोय नीलवंतो॥चत्तारिसय उच्च पंच सयकूडा॥अनवार रिका ॥चरंति उन्नय 5 बादाए ॥६॥गवहाउन्निसया॥जहन्न
मेयं तु दोश्वाघाए॥निवाघाए गुरु लहु॥दोगानय धणुसया पंच॥६३ अर्थ-निसढोय के निषध अने नीलवंत ए बे पर्वत ते चत्तारिसय के चारसे यो. जन नूमीथकी उच्च के ऊंचा बे. अने ते पर्वतनां पंचसय के पांचवें योजनना जंचा, अने तेना अकं के अर्थ एटले अढीसें योजन उवार के उपर पहोलांडे, अने नीचे पांचसे योजन तथा मध्ये पोणाचारसें योजन पहोलां बे, एवां नव नव कूडा के कूट एटले शिखरो, एम सर्व मलीनूमि थकी नवसे योजन ऊंचा थया. ते कूट एटसे शिखरना उन्नय के बे बाजुए यह के आठ आठ योजननी अबाहाए के० अबाधाए रिका के नक्षत्र चरंति के विचरे .॥६॥
एटले अढीसें योजन शिखरनी पहोला तथा बे बाजुना श्राप आठ योजननी अबाधा मलीने बावटा सुन्निसया के0 बसें ने बासठ योजन, ते जहन्न के जघन्य
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