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( ११ )
में से प्रथम दो संस्कृत एवं शेष अपभ्रंश भाषा की हैं। उक्त पुरार्शो के अतिरिक्त संस्कृत, अपभ्रंश एवं हिन्दी में प्रद्युम्न के जीवन से सम्बन्धित जो स्वतन्त्र रचनायें मिलती है उनके नाम निम्न प्रकार हैं :
:
कर्ता का नाम
महासेनाचार्य
सिंह अथवा सिद्ध
कवि सधारु
भः सकलकीर्ति
क्र० सं० रचना का नाम
१. प्रद्युम्नचरित्र
२. पज्जुष्ण कहा प्रद्य ुम
३.
म्नचरित
४. प्रद्युम्नचरित्र
५. प्रयुम्नचरित्र
६. प्रद्युम्नचरित्र ७. प्रद्युम्न चोपई ८. प्रद्युम्नरासो
६. प्रद्युम्नचरित्र
१०. शास्त्रप्रद्युम्न राख ११. प्रश्च ग्नचरित्र १२. प्रद्युम्नचरित्र १३. प्रद्य म्नचरित्र
१४. प्रयम्नचरित्र
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१५. शाम्बमय् म्त रास
१६. शाम्बयन चौपई १७. प्रधुम्नचरित्र
१८. प्रद्युम्नचरित्र
१६. प्रद्युम्नचरित्र २०. प्रद्युम्नचरित्र भाषा
२१. प्रद्युम्नप्रबन्ध
२२. प्रद्य ुम
जरास
२३. शाम्बप्रधुम्न रास
२४, प्रद्युम्नप्रकाश २५. प्रद्युम्नचरित
रइथू
सोमकीर्ति
कमलकेशर
ब्रह्मरायमल्ल
रविसागर
समयसुन्दर
शुभचन्द्र
रतनचन्द्र मल्लिभूषण
वादिचन्द्र
ज्ञानसागर
जिनचन्द्र सूरि भोगकीर्ति
जिनेश्वर सूरि
यशोधर
देबेन्द्र कीर्ति
मात्राराम
हर्पविजय
शिवचन्द
बस्तावरसिंह
भाषा
संस्कृत
अपभ्रंश
हिन्दी
संस्कृत
अपभ्रंश
संस्कृत
हिन्दी
हिन्दी
संस्कृत
संस्कृत
संस्कृत
स० [१६२८
सं० १६४५
राजस्थानी सं० १६५६
संस्कृत
संस्कृत
हिन्दी
हिन्दी
संस्कृत
रचना काल
११वीं शताब्दी
१३वीं शताब्दी
संस्कृत
संस्कृत
हिन्दी गद्य
सं० १४११
१४वीं शताब्दी
१५वीं शताब्दी
सं० १५३०
सन १६२६
१७वीं शताब्दी
सं० १६७१
१वीं शताब्दी
१७वीं शताब्दी
१वीं शताब्दी
१०वीं शताब्दी
हिन्दी
सं० १७२२
हिन्दी
सं० १८१५
हिन्दी
सं० १८४२
हिन्दी
सं० १८७६
हिन्दी गद्य सं० १६१४
उक्त रचनाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्वतन्त्र रूप से महासेनाचार्य ( ११ वीं शताब्दी) के संस्कृत 'पद्युम्न चरित्र' एवं सिंह कवि के अपभ्रंश पज्जुए कहा ( १३ वीं शताब्दी) के पश्चात् हिन्दी में